मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: 7 स्व रचित रचनाएँ

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    18. रक्षा – सुरक्षा

    कश्मीर टाइम्स 22 नवम्बर 2009 

    मेहनती पिसे चक्की,
    चापलूस मारे फक्के,
    राज करे महामूर्ख,
    ज्ञानी खाए धक्के
    अत्याचार शोषण के साए में,
    जनहित दीखता है कहां?
    भय अन्याय के साम्राज्य में,
    जानमाल सुरक्षित होता है कहां?




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    17. मेहनती

    कश्मीर टाइम्स 15 नवंबर 2009 

    पहाड़ों को समतल करने वाले,
    बाधाओं से कब डरते हैं?
    खुद करते है हाथ, कार्य करने वाले,
    निर्धनता, बेरोजगारी दूर करते हैं
    मेहनती हाथों से कार्य करने वाले,
    जिंदगी में मौत से कहां डरते है?
    मन से राम नाम जपते हैं,
    ईश्वर का साक्षात्कार करते हैं




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    16. क्या भारत ?

    कश्मीर टाइम्स 1 नवम्बर 2009 

    विदेशों में कालाधन पहुंचाने से,
    चंद सिक्कों में स्वयं बिक जाने से,
    सस्ते में राष्ट्रीय सुख-शांति बिकवाने से,
    क्या भारत बना महान है?
    आज़ादी लेने हेतु रात-दिन तड़पने से,
    भूखे रहकर फांसी पर चढ़ जाने से,
    गोलियां खाकर शहीद हो जाने से,
    क्या भारत बना महान है?
    जगह जगह भाषा-भाषी मधुर संम्पर्क से,
    पग-पग पर धार्मिक सौहार्द से,
    मानव जाति सम्मान करने से,
    क्या भारत बना महान है ?
    कुपोषितों को स्वस्थ बनाने से,
    बेरोजगारों तक रोजगार पहुंचाने से,
    उत्तम शिक्षा, सुरक्षा वातावरण बनाने से,
    क्या भारत बना महान है?




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    15. प्रदूषण का उद्गम

    कश्मीर टाइम्स 4 अक्तूबर 2009 

    मकान, अस्पताल से बाहर आता प्रदूषण है,
    इंडस्ट्रीज, फैक्ट्रीज से बाहर आता प्रदूषण है,
    दुकान, गोदाम से बाहर आता प्रदूषण है,
    पशुशाला, बूचड़खानों से बाहर आता प्रदूषण है,
    डालते हैं कहां? हम उस प्रदूषण को,
    फैंकते है हम कहां? उस प्रदूषण को,
    क्या हम जलधारा में बहा देते हैं प्रदूषण?
    या सीमा से बाहर फैंक देते हैं प्रदूषण?
    अगर बहाते रहेंगे ऐसे ही प्रदूषण जलधारा में,
    तो रह पाएंगे कैसे? जलचर जलधारा में,
    फैलाते रहेंगे अगर प्रदूषण यहां वहां पर,
    तो रह पाएंगे हम सब कैसे? धरा पर




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    2. विषधर जानो

    सितम्बर 2009 मातृवंदना

    समझ सके, समझ ले भाई!
    चापलूस सांप दोनों हैं सगे भाई,
    चापलूस चापलूसी करता है,
    जहर सांप उगला करता है,
    चापलूस नहीं साथी किसी का,
    मतलब निकाला करता है,
    दूध पिलाओ चाहे जितना
    सांप डंक मारा करता है,
    बात जान ले, सारा यह जहान!
    चापलूस और सांप दोनों एक समान,