मई 2011 मातृवन्दना
मेहनत करने वालों को कम बहुत हैं
नहीं करने वालों को हैं बहुत बहाने
वही कहें आंगन टेढ़ा
जो कभी नाचना न जाने
मेहनत लग्न से होती है
दिल – दिमाग एक करना जो जाने
मेहनत करने वालों को कम बहुत हैं
नहीं करने वालों को हैं बहुत बहाने
जबरन न उनको कम पर लगाना
ध्यान जिन्होंने कम पर नहीं लगाना
लग्न से मुश्किल कम आसान हो जाते
आओ चलें ! कार्यकुशल मेहनती को अपनाने
मेहनत करने वालों को कम बहुत हैं
नहीं करने वालों को हैं बहुत बहाने
धन –दौलत अर्जित होती है
और ठाट- बाट भी, क्या कहने !
धन –दौलत उन्हीं की दासी होती है
धन सदुपयोग करना जो जाने
मेहनत करने वालों को काम बहुत हैं
नहीं करने वालों को हैं बहुत बहाने
सारा बाजार उन्हीं का होता अपना
जान लेते बाजार के सारे जो मायने
मेहनत करना अपना धर्म वो समझते
नहीं ढूंढते, नहीं करने के जो बहाने
मेहनत करने वालों को कम बहुत हैं
नहीं करने वालों को हैं बहुत बहाने
श्रेणी: कवितायें
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1. मेहनत का राज
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3. भारत माँ
मातृवन्दना नवम्बर 2010
तू धरती, हमारी माता,
गुण तेरे सारा जग गाता,
करते हैं हम तुझे प्रणाम,
भारत माँ -------------भारत माँ,
सागसब्जी, तू तिलहन उपजाती,
अनाज, कंदमूल हमें खिलाती,
तू माँ, हम तेरी संतान,
भारत माँ -------------भारत माँ
तुझे दुःख हमसे मिलते,
युग बीत गए पीड़ा सहते,
तू देती नहीं ध्यान,
भारत माँ --------भारत माँ
पूत कपूत हो जाता,
पर नहीं होती माता, कुमाता,
तू करती सबका गुणगान,
भारत माँ ---------भारत माँ
मन आता, जा दुश्मन से टकराएँ,
करनी का सबक, उसे सिखाएं,
दुश्मनी का वह भूल जाए नाम,
भारत माँ ------------भारत माँ
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4. वेद महिमा
कश्मीर टाइम्स 3 अक्तूबर 2010
वेद भारती संस्कृति, वेद भारती समृद्धि, सत्यमेव जयते-------सत्यमेव जयते
वेद भारती आयना, वेद भारती आत्मा, सत्यमेव जयते-------सत्यमेव जयते
वेद भारती ज्ञान, वेद भारती विज्ञान, सत्यमेव-------सत्यमेव
वेद आर्य कर्म, वेद आर्य धर्म, सत्यमेव जयते-------सत्यमेव जयते
वेद मान भारती, वेद प्राण भारती, सत्यमेव जयते-------सत्यमेव जयते
वेद भू भारती, आर्य भू भारती, सत्यमेव जयते-------सत्यमेव जयते
वेद भाग्य विधाता, वेद मुक्तिदाता, सत्यमेव------- जयते
वेद प्रयास महान, जाने सकल जहान, सत्यमेव जयते-------सत्यमेव जयते
वेद भू नमन, आर्य भू नमन, सत्यमेव जयते-------सत्यमेव जयते
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2. हिंदी भाषा संकल्प
मातृवन्दना सितम्बर 2010
हिंदी हो, हिन्द की भाषा,
हिंदी से हिन्द की पहचान हो,
हम सब बोलें भाषा हिंदी,
यही संकल्प हमारा हो
घर हो या दफ्तर,
गली चाहे कोई दुकान हो,
निःसंकोच हम बोलें भाषा हिंदी,
यही संकल्प हमारा हो
बात हो पत्र लिखने की
या विज्ञापन प्रकाशन हो,
लिखें हम भाषा हिंदी,
यही संकल्प हमारा हो
हिंदी जोड़े गांव-गांव
अखंड भारत सजने दो,
हिंदी छाए सारे जगत में,
यही संकल्प हमारा हो
अहिन्दी राज्य टकराना भूलें,
राष्ट्रीय संचालन हिंदी हो,
कोई बैरी न तोड़े प्यारा भारत,
यही संकल्प हमारा हो
हिंदी राज हो भारत में,
अन्य भाषाओँ का भी सम्मान हो,
जन-जन की हो भाषा हिंदी,
यही संकल्प हमारा हो
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1. स्वाधीन भारत में
ज्ञान वार्ता छमाही 2010
पराधीन देश में, वो घड़ी लगती अच्छी थी
स्थान-स्थान पर तिरंगा फहराने को
लगाना जान की बाजी, लगती अच्छी थी
आज गीत वन्दे मातरम् गाने को
राष्ट्रीय गान का, अपमान हो रहा क्यों ?
हमारे स्वाधीन भारत में !
आतंकी संसद पर हमला हैं करते
हम आर-पार की लड़ाई करने की हैं सोचा करते
उस पर हमला न करो, वो हैं कहते
हम सेना को वापिस हैं बुलाया करते
देश की स्वतंत्रता सुरक्षित रहेगी कैसे ?
हमारे स्वाधीन भारत में !
राष्ट्रीय आर्थिक नीतियां बनती हैं
विश्व बैंक की अनुमति लेने से
सब्सिडी देनी या हटानी होती है
विश्व व्यपार संगठन की सहमती से
देश का आर्थिक विकास होगा कैसे ?
हमारे स्वाधीन भारत में !
जिस गाँव में परिवार की बेटी व्याही जाति थी
उस गाँव का, गाँव वाले जल ग्रहण नहीं करते थे
परिवार की बेटी, गाँव की बेटी होती थी
लोग गाँव में नारी सम्मान किया करते थे
आज परिवार की बेटी को, बुरी नजर से बचाएगा कौन ?
हमारे स्वाधीन भारत में !
मठ, मंदिर की आय पर कर लगने की तैयारी हो रही
राजनेताओं द्वारा धार्मिक सत्ता को चुनौती दी जा रही
देश की सीमाएं सिकुड़ती जा रहीं
देश की सुरक्षा खतरे में घिरती जा रही
राष्ट्रीय सुरक्षा के उपायों पर राजनीति कर रहा कौन ?
हमारे स्वाधीन भारत में !