भूजल न्यूज़ लेटर 2006-2007
की एक-एक बून्द को
भू भीतर पहुँचाना है,
भू के जलस्तर को
ऊपर लाना है,
वर्षा जल संचयन करता
भू जल पुनर्भरण,
प्राणी जीवन सुरक्षित रहता है,
होता है सबका संवर्धन,
पेड़, पौधे, झाड़ों को मेड़ पर उगाओ,
बहते पानी को अवरोध लगाओ,
भूक्षरण को रोको,
बसुधा पर स्वर्ग बसाओ,
श्रेणी: कवितायें
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1. वर्षा जल संचयन
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2. जाग रे नौजवान
मातृवन्दना दिसम्बर 2007
तज मोह प्राण जाग रे नौजवान
वीत रहे दिन आलस्य के सारे
कर पूरे काम जो गत जन थे हारे
है आग अंगारे तेरे चार चफेरे
हटा दे चाहे जाते हों प्राण
तज मोह प्राण जाग रे नौजवान
जीतना है तूने आशाओं को
खोना है अपनी निराशाओं को
तूने बढ़ाना है ज्ञान
दूर करना है अज्ञान
तज मोह प्राण जाग रे नौजवान
बनना है नेक तूने जग में
कोई दुखी न रहे जग में
करना है सदव्यवहार जनजन से
रहे रम्य भारत की आन
तज मोह प्राण जाग रे नौजवान
यह समय सोने का है नहीं
यह समय रोेने का है नहीं
भारत पर काली घटा छा रही
खुद संभल भारत का कर सम्मान
तज मोह प्राण जाग रे नौजवान
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22. सुहाना मौसम
दैनिक जागरण 18 दिसम्बर 2007
सर्दी का मौसम आया है
बन कर काली घटा छाया है
बर्फ बन कर गिरती फुहार है
चाँदी सी चमकने लगी धौलाधार है
रिमझिम पानी बरसने लगा है
किसानों का मन हर्षाने लगा है
डाली डाली फिर होने लगा श्रृंगार है
चाँदी सी चमकने लगी धौलाधार है
मतदान का सुहाना मौसम लगता अब है
दल का दल से गिलासिकवा भी गजब है
मतदाता से मतदाता करता सोच विचार है
चाँदी सी चमकने लगी धौलाधार है
इस बार मतदाता पसंद की जो सरकार बनेगी
जनता तो उसे निज हित की बात कहेगी
उसने हर समस्या का करना खण्डाधार है
चाँदी सी चमकने लगी धौलाधार है
सरकार चाहे जिस दल की आए
जनता की भूख प्यास अवश्य ही मिटाए
सत्ता पलटने को वह हर समय तैयार है
चाँदी सी चमकने लगी धौलाधार है
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21. वोट हमारा
दैनिक जागरण 16 नवम्बर 2007
कदम से कदम मिलाकर जो चलेगा,
वोट तो हमारा, उसी को मिलेगा,
पीछे हमसे अब कोई रहेगा नहीं,
अकेला वो कष्ट सहेगा नहीं,
अपने साथ, सबको लेकर जो चलेगा,
वोट तो हमारा, उसी को मिलेगा,
मन में कोई मैल आए न,
मन की बात, मन में छुपाए न,
विश्वास मत, दोबारा प्राप्त जो करेगा,
वोट तो हमारा, उसी को मिलेगा,
जनतन्त्र है हमारा, हम जनता के,
जनता का काम अपना, हम सेवक जनता के,
समझकर काम अपना, जनता का जो करेगा,
वोट तो हमारा, उसी को मिलेगा,
सर्वोच्च स्थान, राष्ट्र का है,
राष्ट्र का नायक, राष्ट्र का है,
राष्ट्र का माथा सम्मानित, ऊंचा जो करेगा,
वोट तो हमारा, उसी को मिलेगा,
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20. सीख
दैनिक जागरण 25 अक्तूबर 2007
ऐ तूफान! तेरी क्या हस्ती?
जहां तू, वहां मैं चला,
सहारा साथ लिए मस्ती,
आंचल में तेरे मैं पला,
चिंता नहीं, जिऊं या मरूं,
घमण्ड न कर, तू प्यारे!
प्रेरणा देता रहा, मैं आऊं पास तेरे,
शीश अपना हथेली पर धारे,
हो जाएं मेरे,
जीवन प्राण न्यारे,
ऐ तूफान! हूं नहीं कम मैं भी तुझसे,
सीख दी तूने, सीख ले तू आज मुझसे,