आग से खेलता है क्यों? वह रख बनाया करती है l
तू इर्ष्या करता है क्यों ? मनः हँसते हुए को रुलाया करती है ll
श्रेणी: 5 विविध
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श्रेणी:आत्म वाचन
ईर्ष्या
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श्रेणी:आत्म वाचन
तीन शत्रु
आलस्य, झूठ, और अभिमान तीनों हैं तेरे शत्रु महान l
एक को भी निकट न आने देना, मनः सुन ले तू देकर ध्यान ll
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श्रेणी:आत्म वाचन
आशाओं का अँधेरा
आशाओं के घोर अँधेरे में, क्यों खो गया तेरा जीवन है ?
तालाश खुद की खुद कर, मनः नाहक बना क्यों दीन-हीन है ll
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