मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: 5 विविध

  • श्रेणी:

    आग


    तरह-तरह का जलना है, तरह-तरह की है आग l
    जिन्दा जलाती चिंता तुझको, मनः मुर्दा भस्म करती है आग ll


  • श्रेणी:

    परिश्रम बिना


    खोज जिसे होती है, मंजिल पा ही लेता है l
    परिश्रम बिना जो ढूंढता है, मनः जीवन नष्ट कर लेता है ll


  • श्रेणी:

    सदाचार


    मुसीबत में करते जो आह नहीं, बूझने नहीं देते जो योगाग्नि को l
    सदाचार होता है संग उनके, मनः सतगुरु पार भव सागर ले जाने को ll


  • श्रेणी:

    मेहनत


    कली बनता गुल, गुल खिलता है काँटों में l
    अभ्यास बनता है मेहनत, मनः होती नहीं मेहनत बातों में ll


  • श्रेणी:

    अक्कल का गुल


    महंदी रंग लाती है पत्थर पर घिसने के बाद l
    अक्कल का गुल खिलता है, मनः ठोकर खाने के बाद ll