
व्यक्ति को हानि, पीड़ा और चिंताएं, उसकी किसी आंतरिक दुर्बलता के कारण होती है। उस दुर्बलता को दूर करके कामयाबी मिल सकती है।
व्यक्ति को हानि, पीड़ा और चिंताएं, उसकी किसी आंतरिक दुर्बलता के कारण होती है। उस दुर्बलता को दूर करके कामयाबी मिल सकती है।
अपने कर्म को सलाम करो, दुनियां तुम्हें सलाम करेगी। यदि कर्म को दूषित रखोगे? तो हर किसी को सलाम करना पडे़गा।