मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: 5 विविध

  • श्रेणी:

    कभी-कभी


    कभी-कभी ऐसा हो गया, भ्रम में अँधेरा, प्रकाश हो गया l

    अँधेरा तो अँधेरा ही रहा, पर मनः तू भ्रष्ट राही हो गया ll


  • श्रेणी:

    उत्तम विद्या


    ले लेना तू उत्तम विद्या नीच से, दूषित कुल से स्त्री रत्न l

    कह गया कोई संत प्यारा, मनः हर्ज नहीं करना ऐसा यत्न ll

  • श्रेणी:

    जाप सके तो


    जाप सके तो जाप ले तू, ॐ ॐ हर साँस l

    फिर क्या जाप पायेगा, मनः निकल जाएगी तेरी हर साँस ll


  • श्रेणी:

    दुष्टों के उपद्रव

    अनमोल वचन :-

    "जिस राजा के राज्य में दुष्टों के उपद्रव से सारी प्रजा त्रस्त रहती है उस मतवाले राजा की कीर्ति, आयु, ऐश्वर्य और प्रलोक नष्ट हो जाते हैं "।


  • श्रेणी:

    पात्र-अपात्र

    अनमोल वचन :-

    सांपों को दूध पिलाना केवल उनके विष को बढ़ाता है, इसी प्रकार मूर्खों को दिया हुआ उपदेश  उन्हें प्रकुपित ही करता है, न कि शांत । अतः हमें प्रत्येक कार्य में पात्र-अपात्र का अवश्य  ही ध्यान रखना चाहिए ।