मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: 5 विविध

  • श्रेणी:

    संतोष का प्याला


    पी ले संतोष का प्याला, जो तेरे पास है l
    मेहनत की है तूने जितनी, मनः फल तो तेरे पास है ll


  • श्रेणी:

    ठोकर


    ठोकर बड़ी होती है, बड़ा तू नहीं इंसान l
    जब तुझको ठोकर लगी , तब होश आई है इन्सान ll


  • श्रेणी:

    धीरे-धीरे


    खाना है तो ठंडा करके होंठ नाजुक जलते हैं l
    काम अच्छा होता धीरे-धीरे, मनः शहद के भी छत्ते भरते हैं ll

  • श्रेणी:

    जगत की रीत


    पैदा हुआ सो मिट जायेगा, है यही जगत को रीत l
    झूठी है हर वस्तु यहाँ, मनः ज्यादा न बढ़ा प्रीत ll

  • श्रेणी:

    घर


    ओह ! चेहरा भीग गया है, क्यों आंसू गिराती हैं आँखें l
    यहाँ घर अपना नहीं है किसीका, मनः तू भर न यों ही आहें ll