
मन एक भीरु शत्रु है जो सदैव पीठ के पीछे से वार करता है।
ऐसा एक भी दिन नहीं जाना चाहिए जब आपने एक श्लोक , आधा श्लोक , चैथाई श्लोक या केवल एक अक्षर नहीं सीखा या आपने दान, अभ्यास या कोई पवित्र कार्य नहीं किया।
मेेरी आंख उस दिन को देखने के लिए तरस रही है, जब कश्मीर से कन्याकुमारी तक सब भारतीय एक भाषा बोलने और समझने लग जांएगे।