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श्रेणी: युवा अवस्था

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    युवा अवस्था

    युवा अवस्था में बच्चे का ज्ञान और विवेक परिपक्व हो जाता है l वह अपने जीवन में l अच्छे, बुरे या निषिद्ध कार्य का सही आंकलन कर सकता है l उसे अच्छे, बुरे या निषिद्ध कार्य का ज्ञान होता है l अभिभावक का उस पर सदैव आशीर्वाद बना रहना  चाहिए l वह अपने जीवन में कोई भी उचित निर्णय ले सकता है l 
    माता - पिता द्वारा संस्कारित, गुरु द्वारा दीक्षित और अध्यापक द्वारा शिक्षित - प्रशिक्षित युवा ही अपने जीवन की चुनौतियों, बधाओं, कठिनाइयों और दुःख - सुख का धैर्य और साहस के साथ सामना करने में सक्षम होते हैं । इससे वे सामाजिक एवंम राष्ट्रीय जिम्मेदारियों को भी भली प्रकार निभाते हैं ।