नारी एक - रूप अनेक -
माँ, बहन, बहु और बेटी से ही हर घर संवरता है, इन्हें हर परिवार में उचित सम्मान मिलना चाहिए l
घर स्वर्ग –
धरती पर वह घर स्वर्ग समान है, जहाँ बच्चों को अच्छे संस्कार मिलते हैं l
घर तीर्थ –
जो सन्तान आज्ञाकारी है, अपने माता-पिता की सेवा करती है, उसे किसी तीर्थ यात्रा पर जाने की कोई आवश्यकता नहीं, वह घर स्वयं तीर्थ होता है l
चिड़ियाँ रैन बसेरा –
यह घर न तेरा है न मेरा है, चिड़ियों का रैन बसेरा है l
श्रेणी: घर
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श्रेणी:घर
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