अनमोल वचन :-
गुणी जनों के सानिध्य में ही सद्गुण विकसित होते हैं, बुरे संग से गुण भी दोष में बदल जाते हैं। जैसे नदी का मीठा जल समुद्र के सानिध्य में अपने गुण को खो देता है और खारा हो पीने योग्य नहीं रहता।
श्रेणी: 2 विविध
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श्रेणी:अनमोल वचन
देश-काल के विपरीत
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श्रेणी:चेतन विचार
अजेय शक्ति
महान् विशाल और अच्छी तरह मजबूती से खड़े हुए अकेले वृक्ष को भी वायु अपने वेग से उखाड़ देती है। इसी प्रकार ताकतवर व्यक्ति भी अकेला हो तो उसे कोई भी हरा सकता है अर्थात संगठित रहने पर ही अजेय शक्ति प्राप्त होती है।
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श्रेणी:अनमोल वचन
शत्रु और रोग
अनमोल वचन :-
जो उत्पन्न होते ही शत्रु और रोग को नष्ट नहीं कर देता, वह महाबलशाली हो तो भी उसके शत्रु और रोग वृद्धि को प्राप्त होकर उसे मार डालते हैं अर्थात् शत्रु और रोग को उत्पन्न होते ही नष्ट कर देना चाहिए।
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श्रेणी:अनमोल वचन
परीक्षा करनी चाहिए
अनमोल वचन :-
विपत्ति में मित्र, युद्ध में वीर, धन होने पर मन की शुद्धता, धननष्ट होने पर स्त्री, और आपत्तियों में बांधवों की परीक्षा करनी चाहिए।
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श्रेणी:अनमोल वचन
हितकर होते हुए भी
अनमोल वचन :-
इस संसार में सदा मन को प्रिय लगने वाला वचन बोलने वाला महापापी मनुष्य भी अवश्य मिल सकता है, परंतु हितकर होते हुए भी अप्रिय वचन को कहने और सुनने वाले दोनों दुर्लभ हैं।