रात काली कट जाती है, सूर्य ले आता है सवेरा l
दिल से दिल मिलता है, मनः छंट जाता है गम का अन्धेरा ll
श्रेणी: आत्म स्वराज – आत्म नियंत्रण
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श्रेणी:आत्म स्वराज – आत्म नियंत्रण
आशाओं का अँधेरा
आशाओं के घोर अँधेरे में, क्यों खो गया तेरा जीवन है ?
तालाश खुद की खुद कर, मनः नाहक बना क्यों दीन-हीन है ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:आत्म स्वराज – आत्म नियंत्रण
विपदा
मुसीबत आ गई तो आने दे विपदा नहीं है कोई खास l
नरमी-गर्मी का मौसम है, मनः तू हुआ है क्यों उदास ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:आत्म स्वराज – आत्म नियंत्रण
सम्मान भावना
चेतन आत्मोवाच 48 :-
लुटाया था अपना आप उसने तो तू उन्हें पूज रहा l
क्यों पूजेगा, कौन तुझे ? मनः तू तो सबको लूट रहा ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:आत्म स्वराज – आत्म नियंत्रण
खुद को ढाल
चेतन आत्मोवाच 47:-
सुहागा सत्य है, आग अहिंसा, सोना शरीर तपा ले l
सांचे में खुद को ढाल, मनः मानव जीवन संवार ले ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"