मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: सशक्त मानव

  • श्रेणी:

    आग

    चेतन आत्मोवाच 68 :-

    तरह-तरह का जलना है, तरह-तरह की है आग l
    जिन्दा जलाती चिंता तुझको, मनः मुर्दा भस्म करती है आग ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    परिश्रम बिना



    खोज जिसे होती है, मंजिल पा ही लेता है l
    परिश्रम बिना जो ढूंढता है, मनः जीवन नष्ट कर लेता है ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    सदाचार



    मुसीबत में करते जो आह नहीं, बुझने नहीं देते जो योगाग्नि को l
    सदाचार होता है संग उनके, मनः सतगुरु पार भव सागर ले जाने को ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    मेहनत



    कली बनता गुल, गुल खिलता है काँटों में l
    अभ्यास बनता है मेहनत, मनः होती नहीं मेहनत बातों में ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    अक्कल का गुल



    महंदी रंग लाती है पत्थर पर घिसने के बाद l
    अक्कल का गुल खिलता है, मनः ठोकर खाने के बाद ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"