मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: सशक्त मानव

  • श्रेणी:

    मानसिक विकार

    चेतन आत्मोवाच 77 :-

    काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, अहंकार हैं सब नर्क के द्वार l
    इधर कहते हैं संत प्यारे, मनः उधर बताते हैं गुरुद्वार ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    शोभा एवं इतिहास

    चेतन आत्मोवाच 76 :-

    बनी है शोभा त्रिभुवन की,सतियों और देवियों से 1
    बना है इतिहास दुनियां का, मनः महान विभूतियों से 11
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    संतान

    चेतन आत्मोवाच 75 :-

    वह सन्तान अच्छी है, जो पावों पर अपने खड़ी है l
    कर्तव्य अपना समझती है, मनः समाज की सच्ची कड़ी है ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    सहारा

    चेतन आत्मोवाच 74 :-

    सहारा होता है जो बेसहारों का, वह दर्द हर लेता है l
    जहर नदी, नाले, झरनों का, मनः शांत समुद्र पी लेता है ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    प्रेम

    चेतन आत्मोवाच 73 :-

    बिना दर्द के जो होता है, वह होता है प्रेम नहीं l
    दर्द नहीं होता जिसमें, मनः होता है वह प्रेम नहीं ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"