मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: मानव जीवन

  • श्रेणी:

    तीन शत्रु


    आलस्य, झूठ, और अभिमान तीनों हैं तेरे शत्रु महान l
    एक को भी निकट न आने देना, मनः सुन ले तू देकर ध्यान ll


  • श्रेणी:

    आशाओं का अँधेरा


    आशाओं के घोर अँधेरे में, क्यों खो गया तेरा जीवन है ?
    तालाश खुद की खुद कर, मनः नाहक बना क्यों दीन-हीन है ll


  • श्रेणी:

    विपदा


    मुसीबत आ गई तो आने दे विपदा नहीं है कोई खास l
    नरमी-गर्मी का मौसम है, मनः तू हुआ है क्यों उदास ll


  • श्रेणी:

    सम्मान भावना


    लुटाया था अपना आप उसने तो तू उन्हें पूज रहा l
    क्यों पूजेगा, कौन तुझे ? मनः तू तो सबको लूट रहा ll


  • श्रेणी:

    खुद को ढाल


    सुहागा सत्य है, आग अहिंसा, सोना शरीर तपा ले l
    सांचे में खुद को ढाल, मनः मानव जीवन संवार ले l