खोखला ढोल ढम-ढम करता, गाना तो वह गा नहीं सकता l
तू शोर धर्म का करता, मनः जब उस पर चल नहीं सकता ll
श्रेणी: मानव जीवन
-
-
श्रेणी:मानव जीवन
सत्य है तुझसे
सत्य है तुझसे जुदा नहीं, वह तुझ में ही समाया है l
तार सितार से जुदा नहीं, मनः आवाज सितार से ही आया है ll
-
श्रेणी:मानव जीवन
कभी-कभी
कभी-कभी ऐसा हो गया, भ्रम में अँधेरा, प्रकाश हो गया l
अँधेरा तो अँधेरा ही रहा, पर मनः तू भ्रष्ट राही हो गया ll
-
श्रेणी:मानव जीवन
उत्तम विद्या
ले लेना तू उत्तम विद्या नीच से, दूषित कुल से स्त्री रत्न l
कह गया कोई संत प्यारा, मनः हर्ज नहीं करना ऐसा यत्न ll
-