मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: मानव जीवन

  • श्रेणी:

    समय बहता जल


    समय बहता जल है, बहता ही जाता है l
    राही बढ़ता चल कठिनाई में, मनः बहता जाता गाता है ll


  • श्रेणी:

    जान सके तो


    जान सके तो खुद को जान, मोह बंधन दे तू तोड़ l
    तुझे प्रेम बंधन बांध लेगा, मनः मायावी घडा दे तू फोड़ ll

  • श्रेणी:

    दुःख-सुख


    सुगम होती दुर्गम राह, तू राही क्यों घबराता है l
    दुःख-सुख हैं दोनों साथी, मनः दुःख ही सुख दिखलाता है ll

  • श्रेणी:

    बोल सके तो


    बोल सके तो बोल तू, ज्यों टहनी से फूल झड़े l

    वचन बड़े कीमती हैं, मनः बिल बोलना संभल के ll


  • श्रेणी:

    कड़वी बात


    फूल मुरझा जाते हैं, सदा कलि भी कलि रहती नहीं l

    घाव भर जाते हैं, पर मनः बात कड़वी मिटती नहीं ll