मानवता सेवा की गतिविधियाँ
जीवन – सार सबकी समझ में आने वाली वस्तु नहीं है l वह सत्य है और ये झूठ l वह दिन है और ये रात l
चेतन कौशल
गिरती बूंद नदी में बह जाती है संग जलधार lजीना-मरना खेल है, मनः नहीं जीत, यहाँ न किसी की हार ll
तरह-तरह का जलना है, तरह-तरह की है आग lजिन्दा जलाती चिंता तुझको, मनः मुर्दा भस्म करती है आग ll
मुसीबत में करते जो आह नहीं, बूझने नहीं देते जो योगाग्नि को lसदाचार होता है संग उनके, मनः सतगुरु पार भव सागर ले जाने को ll
कुछ मिलता है, भेंट देने के बाद lतोडना पड़ता है नाता, मनः भुलानी पड़ती है याद ll