उद्देश्य – विश्व कल्याण हेतु ज्ञान विज्ञान का सृजन, पोषण और संवर्धन करना l
- ब्रह्मा जी का मुख ब्राह्मण होने के कारण ज्ञानी, विद्वान्, बुद्धिमान, वैज्ञानिक, न्यायविद, गुरु, आचार्य, अध्यापक, शिक्षक और अभिभावक ब्राह्मण हैं l - ज्ञान बुद्धि का आभूषण है जिसे ब्राह्मण धारण करता है l - # ब्राह्मण एक वह वास्तुकार है जो अपनी कला से विद्यार्थी को तराशकर सत्यनिष्ठ, धर्मपरायण, न्यायप्रिय और नीतिवान बना सकता है।* - # जो व्यक्ति असत्य, अधर्म, अन्याय और अनीति के विरुद्ध कलम उठाता है, ब्राह्मण कहलाता है ।* - ब्राह्मण स्वयं ज्ञान का सृजन, पोषण वर्धन करता है, वह विद्या - पंडित होने के कारण संपूर्ण मानव समाज का मार्ग दर्शन करता है । - ईश्वरीय तत्व ज्ञान का सृजन, पोषण और वर्धन ब्राह्मण करते हैं । - समाज का कोई भी व्यक्ति ब्राह्मण बन सकता है । - उसके द्वारा ब्रह्मभाव से युक्त तत्व ज्ञानी बनकर शस्त्र - शास्त्र विद्या ज्ञान से विश्व कल्याणकारी कार्य किया जाता है । - जो व्यक्ति ऐसा नहीं करता है, वह ब्राह्मण नहीं हो सकता ।