– ब्रह्मा जी का मुख ब्राह्मण के होने के कारण ज्ञानी, विद्वान्, बुद्धिमान, वैज्ञानिक, न्यायविद, गुरु, आचार्य, अध्यापक, शिक्षक और अभिभावक ब्राह्मण हैं l ज्ञान बुद्धि का आभूषण है जिसे ब्राह्मण धारण करता है l
– # ब्राह्मण एक वह वास्तुकार है जो अपनी कला से विद्यार्थी को तराशकर सत्यनिष्ठ, धर्मपरायण, न्यायप्रिय और नीतिवान बना सकता है।*
– # जो व्यक्ति असत्य, अधर्म, अन्याय और अनीति के विरुद्ध कलम उठाता है, ब्राह्मण कहलाता है ।*
– # ब्राह्मण ज्ञान का स्वयं सृजन, पोषण, वर्धन करता है।*
– # विद्वान होने के कारण ब्राह्मण संपूर्ण मानव समाज का मार्ग – दर्शन करता है।*
श्रेणी: व्यवस्था
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श्रेणी:ब्राह्मण – ज्ञानवीर
ब्राह्मण – ज्ञानवीर
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श्रेणी:क्षत्रिय – शूरवीर
क्षत्रिय – शूरवीर
– # राजनीति एक वह मंच है जिससे राजनेताओं द्वारा जनता की सेवा की जाती है। इस मंच पर उन लोगों को आगे अवश्य आना चाहिए जो सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय का अर्थ भली प्रकार समझते हैं और राष्ट्रीय विचारधारा के अनुचर हैं । अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें जनसाधारण और देश का शत्रु माना जा सकता है ।*– ब्राह्मण, नारी, धर्म, राष्ट्र, गाये के प्राणों की रक्षा – सुरक्षा की सुनिश्चितता क्षत्रिय – शूरवीर से बढ़कर और कौन कर सकता है !
– # शत्रु पर दया करने का अर्थ है आत्म हत्या करना । इससे व्यक्ति, परिवार, समाज, धर्म तथा राष्ट्र सबका अहित होता है, जो एक राष्ट्रवादी क्षत्रिय – शूरवीर कभी सहन नहीं कर सकता ।*
– # वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र को जातियों में बांटने की भूल मत करो, ये सभी धर्म योद्धा हैं।*
# धर्म योद्धा ब्राह्मण के मस्तिष्क और क्षत्रिय की तलवार से विश्व के सभी लोग भली प्रकार परिचित हैं।*
– # क्षत्रिय वह कलाकार है जो असत्य, अधर्म, अन्याय और अनीति के विरुद्ध लड़कर सत्य, धर्म, न्याय और नीति का शासन स्थापित करता है ।*
– # जो व्यक्ति असत्य, अधर्म, अन्याय और अनीति के विरुद्ध आवाज उठाता है, क्षत्रिय कहलाता है।*
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श्रेणी:परम्परागत गुरुकुल शिक्षा
परम्परागत गुरुकुल शिक्षा
- # परिवार में बच्चों को संस्कार मिलते हैं। गुरुकुल में उनका पोषण और संवर्धन होता है ।*
- # संस्कार विहीन शिक्षा समाज के लिए अभिशाप है।*
- आत्मानुशासन की शिक्षा परम्परागत गुरुकुल से ही मिल सकती है – माता-पिता के सानिध्य में पहला गुरुकुल घर है और दूसरा गुरु-आचार्य के सानिध्य में उनका गुरुकुल l
- मैकाले एवं ब्रिटिश साम्राज्य से जनित, पोषित 1947 से जारी अंग्रेजी शिक्षा आत्मानुशासन की शिक्षा क्या देगी ! जिसका मात्र धन उगाही करना ही लक्ष्य हो l
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श्रेणी:गुरु – आचार्य
गुरु – आचार्य
- # विद्यार्थी को तराशकर एक योग्य ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र कोई बना सकता है तो वह गुरु ही हो सकता है l*
- दूषित राजनीति से छुटकारा दिलाने हेतु चाणक्य जैसे आचार्यों को, चन्द्र गुप्त मौर्य जैसे विद्यार्थियों के साथ, आगे अवश्य आना पड़ता है l
- जब जब चाणक्य जैसा कोई आचार्य किसी मुरां पुत्र चन्द्र गुप्त जैसे विद्यार्थी को सम्राट चन्द्र गुप्त मौर्य बनाने में समर्थ होता है, तब तब नन्द जैसे मक्कार और क्रूर शासकों का भी पतन निश्चित होता है l इससे लोकतंत्र की स्थापना होती है और अखंड भारत का सपना साकार होता है l