मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: स्व रचित रचनाएँ

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    नीली चादर तले

    चेतन आत्मोवाच 41 :-

    ऊपर नीली चादर, खड़ा तू तपती जमीन पर l
    तूने करना है क्या ? मनः किधर है ? तेरी डगर ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


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    बुराई

    चेतन आत्मोवाच 40 :-

    पहले उनको न देख, खुद को ही देख l
    खुद की कर दूर बुराई, मनः उनकी अच्छाई देख ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


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    गुम राह

    चेतन आत्मोवाच 39 :-

    नहीं रास्ता जानता तो उस पर चलना मत l
    गुम राह तू हो जायेगा, मनः दूसरों को गुमराह करना मत ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


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    लूट सके तो

    चेतन आत्मोवाच 38 :-

    लूट सके तो लूट ले तू, भरा है ज्ञान का भंडार l
    है प्रकृति अमोल खजाना, मनः कर ले तू उससे प्यार ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


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    सत्य का राही

    चेतन आत्मोवाच 37 :-

    सदग्रन्थ खोल, पढ़ ले जरा, तेरा कल्याण हो जायेगा l
    सत्याचरण करता चल, मनः तू सत्य राही हो जायेगा ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"