चेतन आत्मोवाच 41 :-
ऊपर नीली चादर, खड़ा तू तपती जमीन पर l
तूने करना है क्या ? मनः किधर है ? तेरी डगर ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
श्रेणी: स्व रचित रचनाएँ
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श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
नीली चादर तले
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श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
बुराई
चेतन आत्मोवाच 40 :-
पहले उनको न देख, खुद को ही देख l
खुद की कर दूर बुराई, मनः उनकी अच्छाई देख ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
गुम राह
चेतन आत्मोवाच 39 :-
नहीं रास्ता जानता तो उस पर चलना मत l
गुम राह तू हो जायेगा, मनः दूसरों को गुमराह करना मत ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
लूट सके तो
चेतन आत्मोवाच 38 :-
लूट सके तो लूट ले तू, भरा है ज्ञान का भंडार l
है प्रकृति अमोल खजाना, मनः कर ले तू उससे प्यार ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
सत्य का राही
चेतन आत्मोवाच 37 :-
सदग्रन्थ खोल, पढ़ ले जरा, तेरा कल्याण हो जायेगा l
सत्याचरण करता चल, मनः तू सत्य राही हो जायेगा ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"