श्रेणी: स्व रचित रचनाएँ
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श्रेणी:आलेख
भारत-श्रीलंका संबंध
26 दिसम्बर 2007 के दिन दैनिक जागरण में प्रकाशित ”रामायण में वर्णित स्थलों को विकसित करेगी श्रीलंका सरकार – दुनियां को रामायण की लंका का न्योता“ एक सुखद समाचार है। इस समाचार के अनुसार – ”श्रीलंका सरकार रामायण में आए लंका प्रकरण से जुड़े तमाम स्थलों को प्रयटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना बना रही है। इस परियोजना पर अध्ययन करने के लिए उसने एक टीम भारत भेजी है जो रामायण में दिए गए ”सोने की लंका“ के ब्योरे को समझेगी, उसका खाका तैयार करेगी“ इससे लंका आने वाले विदेशी, विशेष कर भारतीय प्रयटकों को रावण की लंका और रामायण से संबंधित लंका के स्थलों को देखने का सुअवसर मिलेगा।
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श्रेणी:कवितायें
फौलादी सीना
दैनिक जागरण 1 जनवरी 2008
श श श सावधान सावधान
आ गया तूफान तूफान तूफान
श श श सावधान सावधान
समुद्री तूफान थम जाते हैं
किनारा ठोस रामसेतु होने दो
आंधी तूफान दिशा बदल लेते हैं
हर कदम अडिग हिमालय सा होने दो
तूफान जिन्दगी धराशायी हो जाते हैं
नेक इरादे इन्सान के होने दो
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:कवितायें
सुहाना मौसम
दैनिक जागरण 18 दिसम्बर 2007
सर्दी का मौसम आया है
बन कर काली घटा छाया है
बर्फ बन कर गिरती फुहार है
चाँदी सी चमकने लगी धौलाधार है
रिमझिम पानी बरसने लगा है
किसानों का मन हर्षाने लगा है
डाली डाली फिर होने लगा श्रृंगार है
चाँदी सी चमकने लगी धौलाधार है
मतदान का सुहाना मौसम लगता अब है
दल का दल से गिलासिकवा भी गजब है
मतदाता से मतदाता करता सोच विचार है
चाँदी सी चमकने लगी धौलाधार है
इस बार मतदाता पसंद की जो सरकार बनेगी
जनता तो उसे निज हित की बात कहेगी
उसने हर समस्या का करना खण्डाधार है
चाँदी सी चमकने लगी धौलाधार है
सरकार चाहे जिस दल की आए
जनता की भूख प्यास अवश्य ही मिटाए
सत्ता पलटने को वह हर समय तैयार है
चाँदी सी चमकने लगी धौलाधार है
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:कवितायें
जाग रे नौजवान
मातृवन्दना दिसम्बर 2007
तज मोह प्राण जाग रे नौजवान
वीत रहे दिन आलस्य के सारे
कर पूरे काम जो गत जन थे हारे
है आग अंगारे तेरे चार चफेरे
हटा दे चाहे जाते हों प्राण
तज मोह प्राण जाग रे नौजवान
जीतना है तूने आशाओं को
खोना है अपनी निराशाओं को
तूने बढ़ाना है ज्ञान
दूर करना है अज्ञान
तज मोह प्राण जाग रे नौजवान
बनना है नेक तूने जग में
कोई दुखी न रहे जग में
करना है सदव्यवहार जनजन से
रहे रम्य भारत की आन
तज मोह प्राण जाग रे नौजवान
यह समय सोने का है नहीं
यह समय रोेने का है नहीं
भारत पर काली घटा छा रही
खुद संभल भारत का कर सम्मान
तज मोह प्राण जाग रे नौजवान
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:आलेख
जन मानस विरोधी कदम
मातृवन्दना जून 2007 अंक में पृष्ठ संख्या 8 आवरण आलेखानुसार ”कुछ वर्ष पूर्व ”नासा“ द्वारा उपग्रह के माध्यम से प्राप्त चित्रों और सामग्रियों से यह ज्ञात हुआ है कि श्रीलंका और श्रीरामेश्वरम के बीच 48 कि0 मी0 लम्बा तथा लगभग 2 कि0 मी0 चौड़ा सेतु पानी में डूबा हुआ है और यह रेत तथा पत्थर का मानवनिर्मित सेतु है। भगवान श्रीराम द्वारा निर्मित इस प्राचीनतम सेतु का जलयान मार्ग हेतु भारत और श्रीलंका के बीच अवरोध मान कर ”सेतु समुद्रम-शिपिंग- केनाल प्रोजैक्ट“ को भारत सरकार ने 2500 करोड़ रुपए के अनुबंध पर तोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी है।“ यह भारतीय संस्कृति की धरोहर पर होने वाला सीधा कुठाराघात ही तो है जिसे जनान्दोलन द्वारा तत्काल नियन्त्रित किया जाना अनिवार्य है।
जुलाई 2007 मातृवन्दना अंक के पृष्ठ संख्या 11 धरोहर आलेख ”वैज्ञानिक तर्क“ के अनुसार ”धनषकोटी के समीप जलयान मार्ग के लिए वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध हो सकता है।“ इस सुझाव पर विचार किया जा सकता है परन्तु इसकी अनदेखी की जा रही है। एक तरफ भारत की विदेश नीति पड़ोसी पाकिस्तान, चीन, बंग्लादेश, भुटान आदि देशों के साथ आपसी संबंध सुधारने की रही है। उन्हें सड़कों के माध्यम द्वारा आपस में जोड़ कर उनमें आपसी दूरियां मिटाई जा रही हैं तो दूसरी ओर श्रीराम द्वारा निर्मित सेतु को ही तोड़ा जा रहा है। इसे वर्तमान सरकार का जन भावना विरोधी उठाया गया कदम कहा जाए तो अतिश्योक्ति नही होेगी क्योंकि इसके साथ देश-विदेश के असंख्य श्रध्दालुओं की अपार धार्मिक आस्थाएं जुड़ी हुई हैं। इससे उन्हें आघात पहुंच रहा है।
कितना अच्छा होता! अगर श्रीराम युग की इस बहुमूल्य धरोहर रामसेतु का एक वार जीर्णोध्दार अवश्य हो जाता। उसे नया स्वरूप प्रदान किया जाता। इसके लिए श्रीलंका और भारत सरकार मिलकर प्रयास कर सकती हैं। दोनों देशों के संबंध और अधिक मधुर तथा प्रगाढ़ हो सकते हैं । इस भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की किसी भी मूल्य पर रक्षा अवश्य ही की जानी चाहिए।नवम्बर 2007 मातृवन्दना