चेतन आत्मोवाच 65 :-
कली बनता गुल, गुल खिलता है काँटों में l
अभ्यास बनता है मेहनत, मनः होती नहीं मेहनत बातों में ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
श्रेणी: चेतन आत्मोवाच
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श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
मेहनत
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श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
अक्कल का गुल
चेतन आत्मोवाच 64 :-
महंदी रंग लाती है पत्थर पर घिसने के बाद l
अक्कल का गुल खिलता है, मनः ठोकर खाने के बाद ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
भेंट देने के बाद
चेतन आत्मोवाच 63 :-
कुछ मिलता है, भेंट देने के बाद l
तोडना पड़ता है नाता, मनः भुलानी पड़ती है याद ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
विकारी मन
चेतन आत्मोवाच 61 :-
विकारी कमजोर मन कभी सुमिरन काम न कर पाए l
रंग बदले गिरगिट सम, मनः रंग एक आये, एक जाये ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"