सितम्बर 2009 मातृवंदना
समझ सके, समझ ले भाई!
चापलूस सांप दोनों हैं सगे भाई,
चापलूस चापलूसी करता है,
जहर सांप उगला करता है,
चापलूस नहीं साथी किसी का,
मतलब निकाला करता है,
दूध पिलाओ चाहे जितना
सांप डंक मारा करता है,
बात जान ले, सारा यह जहान!
चापलूस और सांप दोनों एक समान,
चेतन कौशल "नूरपुरी"
श्रेणी: कवितायें
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विषधर जानो
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क्या तुम ———-?
कश्मीर टाइम्स 23 अगस्त 2009
जब निजहित तुम्हारा होगा देशहित से ऊँचा,
और निज सुख तुम्हें दिखने लगेगा महान,
तब क्यों कोई देशहित की बात करेगा?
क्यों देशहित में कोई करेगा काम?
जब देश नहीं रहेगा समृद्धि-सुरक्षा का अधिकारी,
तब तुम क्या कर लोगे? निजहित में,
जगह-जगह बनें हो नन्द भाई, भ्रष्टाचारी,
क्यों धंसे हो? तुम भोग विलासी दलदल में,
क्या जागेगा फिर कोई चाणक्य प्यारा?
गाँठ चोटी खोलकर भरेगा हुंकार,
क्या ढूंढेगा वह कोई चन्द्रगुप्त न्यारा?
और नेकदिल जननायक करेगा तैयार,
जब वह बजाएगा ईंट से ईंट तुम्हारी,
तब तुम क्या कर लोगे? निज सुख में,
जगह-जगह बनें हो नन्द भाई, भ्रष्टाचारी,
क्यों धंसे हो? तुम भोग विलासी दलदल में,
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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मुफ्त प्रदूषण
2 अगस्त 2009 कश्मीर टाइम्स
कंकरीट, पत्थरों के इस शहर में,
मानव ही प्रदूषण फैलाता है,
जगह-जगह ढेर लगाता है गंदगी के,
पास से नहीं निकला जाता है,
कंकरीट, पत्थरों के इस शहर में
पॉलिथीन लिफाफे, प्लास्टिक सामान बनाती हैं फैक्ट्रियां,
बांधकर गांठे शहर-शहर पहुंचाती हैं फैक्ट्रियां,
शहरी प्रदुषण फैले तो फैले, उन्हें क्या?
कंकरीट, पत्थरों के इस शहर में
अच्छा होता, अगर इनका प्रचलन न होता,
पॉलिथीन, प्लास्टिक सामान का कहीं निशान न होता,
हर कोई स्वस्थ होता, अगर मुफ्त प्रदूषण न होता,
कंकरीट, पत्थरों के इस शहर में
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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पन्द्रह अगस्त
अगस्त 2009 मातृवंदना
आज दिन पन्द्रह अगस्त का आया है
जीने का अधिकार सबने पाया है
रिश्वत किसी से नहीं लेनी थी इसने
घूस किसी को नहीं देनी थी उसने
तूने कमिशन खाने का अधिकार किससे पाया है
आज दिन पन्द्रह अगस्त का आया है
यहांवहां गबनों का दौर चल रहा है
आए दिन घेटालों का पिटारा खुल रहा है
पलपल माल चोरी का जाता है मोरी में
यहां मानसिक गुलामी को किसने बुलाया है
आज दिन पन्द्रह अगस्त का आया है
तू इतनी जल्दी भूल गया कैसे
आजादी इसी दिन हमें मिली थी
था हर जिगर का टुकड़ा विछुड़ गया कैसे
आहत हुआ नारीवक्ष घाव नहीं भर पाया है
आज दिन पन्द्रह अगस्त का आया है
अब शोषण हम यहां किसी का नहीं होने देंगे
अधिकार गरीब दुखिया अनाथ का नहीं खोने देंगे
दलितों को उठाकर हमने गले लगाना है
तूने मनमानी करने का अधिकार किससे पाया है
आज दिन पन्द्रह अगस्त का आया है
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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नहर
21 जून 2009 कश्मीर टाइम्स
अवश्य ही होगा,
सफल लक्ष्य हमारा,
कोना-कोना खेत का,
सींचेगी निर्मल जलधारा,
गांव-गांव पहुंचेगी नहर,
सूखे का होगा अंत,
नहीं रहेगा कोई प्यासा,
घर-घर होगा बसंत,
चेतन कौशल "नूरपुरी"