अनमोल वचन :-# अच्छा स्वास्थ्य एवंम अच्छी समझ जीवन में दो सर्वोत्तम वरदान है l *
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श्रेणी: कवितायें (page 20 of 20)
24 जून 1996 कश्मीर टाइम्स
हिंसा करता मैं धर्म के नाम पर,
धर्म पशुता में अंतर रहा क्या?
इंसान हूँ कहलाता मैं मगर
बन गया पशु, अर्थ रहा क्या?
बस एक इंसान हूँ मैं मगर
भेड़िये की खाल में रहता क्यों?
बातें धर्म की करता मैं मगर
लहू बेगुनाहों का बहाता क्यों?
हिंसा है धर्म दानव का,
सबको मरने की रह दिखाई है,
हिंसा करना है काम हिंसक पशु का
फिर ऐसी राह मैंने क्यों पाई है?
बुरा सोचूं मैं किसी के लिये
भला मेरा भी होगा क्या?
खाई खोदूं मैं किसी के लिए
पहले कुंआं मेरे लिए न बना होगा क्या?
काम, क्रोध, लोभ, मोह, अंहकार
सारे मात्र हैं नरक ही के द्वार,
इधर बोल रहे सद्ग्रन्थ प्यारे,
उधर गुर बता रहे हैं सद्गुरु के द्वार,
चेतन कौशल "नूरपुरी"
18 जून 1996 कश्मीर टाइम्स
दे सकते हैं, हम सत्ता जिन शासकों को,
हटा सकते हैं, हम उनको भी शासन से,
लोकतांत्रिक हैं, हम बोलेंगे उन शासकों को,
गद्दारी मत करना, तुम भूलकर भी स्वशासन से,
दे सकते हो, कुशल और स्वच्छ प्रशासन देना,
सुखसमृद्धि देना और कल्याणकारी प्रशासन देना,
नहीं तो फिर हमने तुम्हारा स्थान खाली कर देना,
चाहेंगे हम तुम्हारा स्थान खाली कर देना,
चेतन कौशल "नूरपुरी"