दैनिक जागरण 16 नवम्बर 2007
कदम से कदम मिलाकर जो चलेगा,
वोट तो हमारा, उसी को मिलेगा,
पीछे हमसे अब कोई रहेगा नहीं,
अकेला वो कष्ट सहेगा नहीं,
अपने साथ, सबको लेकर जो चलेगा,
वोट तो हमारा, उसी को मिलेगा,
मन में कोई मैल आए न,
मन की बात, मन में छुपाए न,
विश्वास मत, दोबारा प्राप्त जो करेगा,
वोट तो हमारा, उसी को मिलेगा,
जनतन्त्र है हमारा, हम जनता के,
जनता का काम अपना, हम सेवक जनता के,
समझकर काम अपना, जनता का जो करेगा,
वोट तो हमारा, उसी को मिलेगा,
सर्वोच्च स्थान, राष्ट्र का है,
राष्ट्र का नायक, राष्ट्र का है,
राष्ट्र का माथा सम्मानित, ऊंचा जो करेगा,
वोट तो हमारा, उसी को मिलेगा,
चेतन कौशल "नूरपुरी"
श्रेणी: कवितायें
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वोट हमारा
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सीख
दैनिक जागरण 25 अक्तूबर 2007
ऐ तूफान! तेरी क्या हस्ती?
जहां तू, वहां मैं चला,
सहारा साथ लिए मस्ती,
आंचल में तेरे मैं पला,
चिंता नहीं, जिऊं या मरूं,
घमण्ड न कर, तू प्यारे!
प्रेरणा देता रहा, मैं आऊं पास तेरे,
शीश अपना हथेली पर धारे,
हो जाएं मेरे,
जीवन प्राण न्यारे,
ऐ तूफान! हूं नहीं कम मैं भी तुझसे,
सीख दी तूने, सीख ले तू आज मुझसे,
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:कवितायें
जय राष्ट्रीय निशान
मातृवन्दना अगस्त 2007
जय राष्ट्रीय निशान
रहे सदा तेरी पहचान
केसरिया वीरता उत्साह त्याग का सूचक
आन शान मान का पूजक
नहीं था तू अनादर करने के योग्य
जलते देखते हैं यहां वहां हमारे प्राण
जय राष्ट्रीय निशान
श्वेत सत्य पवित्रता शांति का प्रतीक
नहीं है आज यहां सब दिखता ठीक
गए कहां गुरु देते थे जो हमें सीख
कर्तव्य अपना भूल गए होता नहीं भान
जय राष्ट्रीय निशान
हरा श्रद्धा विश्वास वैभव का द्योतक
तू तो था दुखसुख का बोधक
ह्रास त्रास दिखता यहां वहां अत्याचार
अनाचार नहीं करना था परहित परत्राण
जय राष्ट्रीय निशान
काली छाया ने आ ढक लिया है
तुझे सहने हर संताप दिया है
फड़कती हैं भुजाएं हमारीे टकराने को
देकर भी शीश तेरा करेंगे त्राण
जय राष्ट्रीय निशान
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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पानी बचाओ
दैनिक जागरण 15 जून 2007
पानी लेकर बंद करना है नल
भाई यों ही व्यर्थ नहीं बहाना है जल
सब्जी या फलों को धोकर
क्यारी में डाल देना है पानी
क्यारी में नमी रहेगी
नाली में नहीं जाने देना है पानी
शेष बचा बोतल या बाल्टी का पानी
है क्यारी के पौधों का पानी
कल के लिए ढक कर
आज रखना है पेयजल
संभलकर कल भी
प्रयोग करना है पेयजल
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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क्रांतिकारी
दैनिक जागरण 13 जून 2007
पल भर नहीं जो कर्महीन रहता
कुछ न कुछ करता रहता है
रखता अज्ञान शोषण अत्याचार पर कड़ी नजर
दहकते अंगारों पर बे खबर चलता है
राह में मुसीबतें आएं चाहे जितनी
वह नित आगे बढ़ता जाता है
मौत भी सामने क्यों न आए
वह खुशी से निज कण्ठ लगाता है
क्रांति कभी आ नहीं सकती
है यह तो उसमें दम नहीं
चाहे क्रांति होती है बलवान बहुत
पर देखा क्रांतिकारी भी कुछ कम नहीं
चेतन कौशल "नूरपुरी"