विचारकों के कथन :-
अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते है।
- महर्षि अरविंद
श्रेणी: विचारकों के कथन
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श्रेणी:विचारकों के कथन
महर्षि अरविंद
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श्रेणी:विचारकों के कथन
स्वामी रामतीर्थ
विचारकों के कथन :-
जंजीरें, जंजीरें ही होती हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से तुम्हें गुलाम बनाती हैं।
- स्वामी रामतीर्थ
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श्रेणी:विचारकों के कथन
डा0 शंकरदयाल शर्मा
विचारकों के कथन :-
सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिए उतने हीआवश्यक हैं, जितने संतुलन और मर्यादित चेतना।
- डा0 शंकरदयाल शर्मा
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श्रेणी:विचारकों के कथन
स्वामी विवेकानन्द
विचारकों के कथन :-
जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिए, नही तो लोगों का विश्वास उठ जाएगा।
- स्वामी विवेकानन्द