
चेतन आत्मोवाच 79 :-
श्रेष्ठ साहित्य है कामधेनु, दूध सम देता है शक्ति l
ज्ञानी की बात छोड़ो, मनः मुर्ख भी करने लगता है भक्ति l
चेतन कौशल "नूरपुरी"
चेतन आत्मोवाच 79 :-
श्रेष्ठ साहित्य है कामधेनु, दूध सम देता है शक्ति l
ज्ञानी की बात छोड़ो, मनः मुर्ख भी करने लगता है भक्ति l
चेतन कौशल "नूरपुरी"
चेतन आत्मोवाच 78 :-
नहीं रहता माँ, बहन, बेटी पत्नी का भेद वहां l
मदिरा का चलता है मनः दौर खुले आम जहाँ ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
चेतन आत्मोवाच 77 :-
काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, अहंकार हैं सब नर्क के द्वार l
इधर कहते हैं संत प्यारे, मनः उधर बताते हैं गुरुद्वार ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
चेतन आत्मोवाच 76 :-
बनी है शोभा त्रिभुवन की,सतियों और देवियों से 1
बना है इतिहास दुनियां का, मनः महान विभूतियों से 11
चेतन कौशल "नूरपुरी"
चेतन आत्मोवाच 75 :-
वह सन्तान अच्छी है, जो पावों पर अपने खड़ी है l
कर्तव्य अपना समझती है, मनः समाज की सच्ची कड़ी है ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"