# वह आत्मा जो शरीर की दस इंद्रियों के घोड़ों से सुशोभित रथ पर बैठकर मन की लगाम को अपनेे सार्थी बुद्धि के द्वारा संचालित करता है, स्वामी होता हैै, अध्यात्मिक गुरु कहलाता है।* 

चेतन कौशल "नूरपुरी"