विश्व में मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र या शत्रु उसका ही अपना मन है। वह चाहे तो दुर्भावना से किसी के साथ शत्रुता कर ले या सदभावना से मित्रता स्थापित कर लेे।