मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



मेहमान न बन


मेहमान न बन तू किसीका, रोजाना न कर तू आना जाना l

मेहमान तू रहेगा नहीं, मनः बहुतों ने तो कुत्ता माना ll

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