मानवता सेवा की गतिविधियाँ
चेतन कौशल
कभी-कभी ऐसा हो गया, भ्रम में अँधेरा, प्रकाश हो गया l अँधेरा तो अँधेरा ही रहा, पर मनः तू भ्रष्ट राही हो गया ll
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