6. अक्टूबर 2022 / 0 Comments कभी-कभी चेतन आत्मोवाच 3 :-कभी-कभी ऐसा हो गया, भ्रम में अँधेरा, प्रकाश हो गया l अँधेरा तो अँधेरा ही रहा, पर मनः तू भ्रष्ट राही हो गया llचेतन कौशल "नूरपुरी"