चेतन आत्मोवाच 3 :-

कभी-कभी ऐसा हो गया, भ्रम में अँधेरा, प्रकाश हो गया l

अँधेरा तो अँधेरा ही रहा, पर मनः तू भ्रष्ट राही हो गया ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"