मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



दुःख-सुख


सुगम होती दुर्गम राह, तू राही क्यों घबराता है l
दुःख-सुख हैं दोनों साथी, मनः दुःख ही सुख दिखलाता है ll

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