मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



जगत की रीत


पैदा हुआ सो मिट जायेगा, है यही जगत को रीत l
झूठी है हर वस्तु यहाँ, मनः ज्यादा न बढ़ा प्रीत ll

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