# यह बात तो जग जाहिर है कि विश्व का हर मनुष्य अपना हित चाहता है, पर जो मनुष्य हर समय दूसरे का अहित चाहता है और करता है, उस मनुष्य का भला कैसे होगा? चिंता का विषय है।*

चेतन कौशल "नूरपुरी"