मानवता सेवा की गतिविधियाँ
चेतन कौशल
ओह ! चेहरा भीग गया है, क्यों आंसू गिराती हैं आँखें lयहाँ घर अपना नहीं है किसीका, मनः तू भर न यों ही आहें ll
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