# जैसे रात में विचरण करने वाले उल्लू को दिन में दिखाई नहीं देता है, वैसे ही संसारिक सुख में मस्त रहने वाले को ईश्वर के भी दिव्य दर्शन नहीं होते है।*
# जैसे रात में विचरण करने वाले उल्लू को दिन में दिखाई नहीं देता है, वैसे ही संसारिक सुख में मस्त रहने वाले को ईश्वर के भी दिव्य दर्शन नहीं होते है।*