मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



2. भक्ति, श्रद्धा, प्रेम का पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

भगवान श्रीकृष्ण लगभग 5000 वर्ष ईश्वी पूर्व इस धरती पर अवतरित हुए थे। उनका जन्म द्वापर युग में हुआ था।…
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सशक्त न्याय व्यवस्था की आवश्यकता

दिनांक 29 जुलाई 2025 सत्य, न्याय, नैतिकता, सदाचार, देश, सत्सनातन धर्म, संस्कृति के विरुद्ध मन, कर्म और वचन से की…
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सनातन धर्म के सोलह संस्कार

दिनांक 20 जुलाई 2025 सनातन धर्म के सोलह संस्कारसनातन धर्म में मानव जीवन के सोलह संस्कारों का प्रावधान है जो…
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ब्राह्मण – ज्ञानवीर

उद्देश्य – विश्व कल्याण हेतु ज्ञान विज्ञान का सृजन, पोषण और संवर्धन करना l – ब्रह्मा जी का मुख ब्राह्मण…
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क्षत्रिय – शूरवीर

उद्देश्य –  ब्राह्मण, नारी, धर्म, राष्ट्र, गाये के प्राणों की रक्षा – सुरक्षा की सुनिश्चितता  बनाये रखना l   -…
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    3. प्रभा प्रभात

    29 फरवरी 2008 दैनिक जागरण

    पशु धन से हो श्रृंगार घरघर का
    पौष्टिकता से लहलहाएं सब खेत देश के
    दूध दही घी से बलवान बने हर बच्चा घरघर का
    तेजस्वी कहलाएं नौजवान देश के
    घरघर पहुंचे फिर ऐसी शिक्षा
    मांगे न कोई किसी से भिक्षा
    हर हाथ रोजगाार दिलाए शिक्षा
    बयार तो कोई लाल लाए शिक्षा
    खुद समझे जो औरों को समझाए
    सत्यअसत्य में भेद कर पाएं
    ऐसे फिर किसी से न हो नादानी
    कहना पड़े कि फुलफल रही बेईमानी
    गुणों ही की अब आगे हो पूजा
    मन कर्म वचन से न कोई कार्य हो दूजा
    चापलूसों के सिर पर बरसें डंडे
    पगपग अरमान भ्रष्टाचारी पड़ें ठंडे
    देश विदेश में जनजन को पड़े कहना
    बल बुद्धि विद्या और गुण भारत का है गहना




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    2. हम वही हैं जो

    19 फरवरी 2008 दैनिक जागरण

    जो थे पहले हम कभी हैं आज
    और रहेंगे कल भी
    हमनें फिर दुनियां का संशय मिटाना है
    लौह पुरुष बन दिखाना है
    गर भारत की ओर कोई अंगुली उठे
    उसे तुरन्त काट गिराना है
    हमनें फिर दुनियां का संशय मिटाना है
    जो थे पहले हम कभी हैं आज
    और रहेंगे कल भी
    कर्मशील रह कर हम निर्धनता मिटाने वाले
    संस्कारवान हो कर मानवता दिखाने वाले
    चरित्रवान बन कर हमने दुखियों का संताप मिटाना है
    हमनें फिर दुनियां का संशय मिटाना है
    जो थे पहले हम कभी हैं आज
    और रहेंगे कल भी



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    1. भारत-श्रीलंका संबंध

    30 जनवरी 2008 दैनिक जागरण

    26 दिसम्बर 2007 के दिन दैनिक जागरण में प्रकाशित ”रामायण में वर्णित स्थलों को विकसित करेगी श्रीलंका सरकार - दुनियां को रामायण की लंका का न्योता“ एक सुखद समाचार है। इस समाचार के अनुसार - ”श्रीलंका सरकार रामायण में आए लंका प्रकरण से जुड़े तमाम स्थलों को प्रयटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना बना रही है। इस परियोजना पर अध्ययन करने के लिए उसने एक टीम भारत भेजी है जो रामायण में दिए गए ”सोने की लंका“ के ब्योरे को समझेगी, उसका खाका तैयार करेगी“ इससे लंका आने वाले विदेशी, विशेष कर भारतीय प्रयटकों को रावण की लंका और रामायण से संबंधित लंका के स्थलों को देखने का सुअवसर मिलेगा।
    इस शुभ समाचार से राम भक्तों का हृदय बेहद गर्वित और हर्षित हुआ है। यह भारत में सत्तासीन उन राजनीतिज्ञों के लिए सीख है जो श्रीराम के अस्तित्व को नकार रहे हैं। रामायण के पात्रों के मात्र कवि की कल्पना बता रहे हैं और उन्हें नाटक ही के पात्र कह रहे हैं। यह सर्वविदित है कि आयोध्या नरेश दशरथ नन्दन श्रीराम का लंका नरेश रावण के मध्य धर्म-अधर्म का युद्ध हुआ था उस धर्म-युद्ध में विजयी श्रीराम ने धर्म परायण रावण के छोटे भाई विभीषण को लंका का राज्य सोंपा था और लंका के साथ ठोस रामसेतु के समान अजीवन अपने प्रगाढ़ संबंध बनाए थे जिसका आज तक विश्व में उदाहरण ढुंढने पर कहीं भी मिलता नहीं है।
    धर्म-संस्कृति और समाज के प्रति जागृत आज श्रीलंका सरकार ने भारत के साथ मधुर संबंध बनाने के लिए स्वंय अपेक्षा की है। उसने सहायता पाने के लिए अपना हाथ भी बढ़ाया है। इस पर भारत की वर्तमान सरकार को संकोच क्यों? उसे चाहिए कि वह राम-रावण जीवन से संबंधित रामायण में वर्णित स्थल जो दोनों देशों के लोगों की धार्मिक आस्था ही नहीं सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर भी है, को विकसित करने की श्रीलंका सरकार की भांति परियोजना बनाए और उसे साकार भी करे।
    आज भारत को श्रीलंका के साथ जोड़ने के लिए जहाज रानी-मार्ग की नहीं, रामसेतु की ज्यादा आवश्यकता है। भारत की वर्तमान सरकार को उसकी रक्षा करनी चाहिए, जीर्णोंद्वार करना चाहिए ताकि भारत की विदेश नीति राम-विभीषण की मित्रता पर आधारित, श्रीलंका-भारत को जोड़ने वाले ठोस रामसेतु के रूप में युग-युगों तक सुदृढ़ बनी रह सके।

    30 जनवरी 2008 दैनिक जागरण

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    1. फौलादी सीना

    दैनिक जागरण 1 जनवरी 2008 

    श श श सावधान सावधान
    आ गया तूफान तूफान तूफान
    श श श सावधान सावधान
    समुद्री तूफान थम जाते हैं
    किनारा ठोस रामसेतु होने दो
    आंधी तूफान दिशा बदल लेते हैं
    हर कदम अडिग हिमालय सा होने दो
    तूफान जिन्दगी धराशायी हो जाते हैं
    नेक इरादे इन्सान के होने दो



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    1. वर्षा जल संचयन

    भूजल न्यूज़ लेटर 2006-2007 

    की एक-एक बून्द को
    भू भीतर पहुँचाना है,
    भू के जलस्तर को
    ऊपर लाना है,
    वर्षा जल संचयन करता
    भू जल पुनर्भरण,
    प्राणी जीवन सुरक्षित रहता है,
    होता है सबका संवर्धन,
    पेड़, पौधे, झाड़ों को मेड़ पर उगाओ,
    बहते पानी को अवरोध लगाओ,
    भूक्षरण को रोको,
    बसुधा पर स्वर्ग बसाओ,