मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



2. भक्ति, श्रद्धा, प्रेम का पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

भगवान श्रीकृष्ण लगभग 5000 वर्ष ईश्वी पूर्व इस धरती पर अवतरित हुए थे। उनका जन्म द्वापर युग में हुआ था।…
Read More

सशक्त न्याय व्यवस्था की आवश्यकता

दिनांक 29 जुलाई 2025 सत्य, न्याय, नैतिकता, सदाचार, देश, सत्सनातन धर्म, संस्कृति के विरुद्ध मन, कर्म और वचन से की…
Read More

सनातन धर्म के सोलह संस्कार

दिनांक 20 जुलाई 2025 सनातन धर्म के सोलह संस्कारसनातन धर्म में मानव जीवन के सोलह संस्कारों का प्रावधान है जो…
Read More

ब्राह्मण – ज्ञानवीर

उद्देश्य – विश्व कल्याण हेतु ज्ञान विज्ञान का सृजन, पोषण और संवर्धन करना l – ब्रह्मा जी का मुख ब्राह्मण…
Read More

क्षत्रिय – शूरवीर

उद्देश्य –  ब्राह्मण, नारी, धर्म, राष्ट्र, गाये के प्राणों की रक्षा – सुरक्षा की सुनिश्चितता  बनाये रखना l   -…
Read More
  • श्रेणी:

    महादेवी वर्मा

    विचारकों के कथन :-

    अपने विषय में कुछ कहना प्रायः बहुत कठिन होता है, क्योंकि अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना दूसरों को।
    - महादेवी वर्मा

  • श्रेणी:

    महर्षि अरविंद

    विचारकों के कथन :-

    अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते है।
    - महर्षि अरविंद

  • श्रेणी:

    स्वामी रामतीर्थ

    विचारकों के कथन :-

    जंजीरें, जंजीरें ही होती हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से तुम्हें गुलाम बनाती हैं।
    - स्वामी रामतीर्थ

  • श्रेणी:

    डा0 शंकरदयाल शर्मा

    विचारकों के कथन :-

    सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिए उतने हीआवश्यक हैं, जितने संतुलन और मर्यादित चेतना।
    - डा0 शंकरदयाल शर्मा

  • श्रेणी:

    डा0 सर्वपल्ली राधाकृष्ण

    विचारकों के कथन :-

    साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है, परंतु एक नया वातावरण देना भी है।
    - डा0 सर्वपल्ली राधाकृष्ण