मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



2. भक्ति, श्रद्धा, प्रेम का पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

भगवान श्रीकृष्ण लगभग 5000 वर्ष ईश्वी पूर्व इस धरती पर अवतरित हुए थे। उनका जन्म द्वापर युग में हुआ था।…
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सशक्त न्याय व्यवस्था की आवश्यकता

दिनांक 29 जुलाई 2025 सत्य, न्याय, नैतिकता, सदाचार, देश, सत्सनातन धर्म, संस्कृति के विरुद्ध मन, कर्म और वचन से की…
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सनातन धर्म के सोलह संस्कार

दिनांक 20 जुलाई 2025 सनातन धर्म के सोलह संस्कारसनातन धर्म में मानव जीवन के सोलह संस्कारों का प्रावधान है जो…
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ब्राह्मण – ज्ञानवीर

उद्देश्य – विश्व कल्याण हेतु ज्ञान विज्ञान का सृजन, पोषण और संवर्धन करना l – ब्रह्मा जी का मुख ब्राह्मण…
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क्षत्रिय – शूरवीर

उद्देश्य –  ब्राह्मण, नारी, धर्म, राष्ट्र, गाये के प्राणों की रक्षा – सुरक्षा की सुनिश्चितता  बनाये रखना l   -…
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  • श्रेणी:

    मदर टैरेसा

     

    कल तो चला गया है और आने वाला कल अभी आया नहीं। आज का दिन हमारे पास है। आइये! हम इसकी अच्छी शुरुआत कर अपने जीवन को सफल बनाएं।

  • श्रेणी:

    आचार्य चाणक्य

     

    अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक समान उपयोगी है।

  • श्रेणी:

    जो चाहो ले लो

    दुनियां से जो चाहो, तुम ले लो
    चाहो शूल, तो शूल मिलेंगे
    चाहो फूल, तो फूल मिलेंगे
    सूुई चुभाओ, तो शूल लगेंगे
    फूल बांटो, तो हार पड़ेंगे
    मुस्कुराहट छीनकर, शूल दर्द देता है
    दर्द लेकर, फूल हंसी लौटा देता है
    चाहो शूल, तुम शूल ले लो
    चाहो फूल, तुम फूल ले लो
    दुनियां से जो चाहो, तुम ले लो


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री

     

    आज गांव के लोग दुनियां की ओर देख रहे हैं। वे भी बेहतर जीवन चाहते हैं। यदि दूरस्थ शिक्षा की व्यवस्था है तो वे इसका लाभ लेना चाहते हैं।

  • श्रेणी:

    महात्मा गांधी

     

    - अकेले का जो लाभ है वह अनुभव से ही सिद्ध हो सकता है l 
    - विश्वास को हमेशा तर्क से तोलना चाहिए l जब विश्वास अँधा होता है तो वह मर जाता है l 
    - थोडा सा अभ्यास बहुत से उपदेशों से बेहतर है l 
    - राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए महत्वपूर्ण है l 
    -आप उस परिवर्तन का वाहक स्वयं बनिये जिसकी आप कामना करते हैं l 
    -ईमानदार मतभेद आमतौर पर प्रगति के स्वस्थ संकेत हैं l 
    -अपने परयोजन में दृढ़ विश्वास रखने वाला दुर्बल शरीर भी इतिहास के रुख  बदल सकता है l 
    - मैं यह अनुभव करता हूँ कि गीता हमें यह सिखाती है कि हम जिसका पालन दैनिक जीवन में नहीं करते, उसे धर्म नहीं कहा जा सकता l 
    - सार्थक कला रचनाकार की प्रसन्नता, समाधान और पवित्रता की गवाह होती है l 
    - मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं l 
    - एक कायर प्रेम करने में असमर्थ है, प्रेम बहादुरों का विशेषाधिकार है l 
    - सम्पूर्ण विश्व का इतिहास उन व्यक्तियों के उदाहरणों से भरा पड़ा है जो अपने आत्मविश्वास, साहस तथा दृढ़ता की शक्ति से नेतृत्व के शिखर पर पहुंचे है l  
    - "जिस तरह हमें अपना शरीर कायम रखने के लिए भोजन जरूरी है, आत्मा की भलाई के लिए प्रार्थना कहीं उससे भी ज्यादा जरूरी है। प्रार्थना या भजन जीभ से नहीं वरन हृदय से होता है। इसलिए गूंगे, तुतले और मूढ़ भी प्रार्थना कर सकते हैं। जीभ पर अमृत - राम नाम और हृदय में हलाहल - दुर्भावना हो तो जीभ का अमृत किस काम का?"
    - क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है।
    - ठोकर लगती है और दर्द होता है, तभी मनुष्य सीख पाता है।
    - आप अच्छे बनकर किसी व्यक्ति के पास जाएंगे तो दूसरे व्यक्ति की अच्छाई भी सामने आ जाएगी।
    - एक कृत्य द्वारा किसी एक दिल को खुशी देना प्रार्थना में झुके हजार सिरों से बेहतर है।
    - आँख के बदले आँख, पूरे विश्व को अंधा बना देगीं।
    - व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित एक प्राणी है। वह जो सोचता है, वही बन जाता है।
    - कार्य की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है।
    - खुशी तभी मिलेगी, जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, सामंजस्य में हो।
    - मित्र बनाने के लिए इंसान को मित्रता के काबिल बनना पड़ता है।
    - अपने दोष हम देखना नहीं चाहते, दूसरों के हमें देखने में मजा आता है। बहुत सारे दुःख इसी आदत से पैदा होते हैं।