मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



2. भक्ति, श्रद्धा, प्रेम का पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

भगवान श्रीकृष्ण लगभग 5000 वर्ष ईश्वी पूर्व इस धरती पर अवतरित हुए थे। उनका जन्म द्वापर युग में हुआ था।…
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सशक्त न्याय व्यवस्था की आवश्यकता

दिनांक 29 जुलाई 2025 सत्य, न्याय, नैतिकता, सदाचार, देश, सत्सनातन धर्म, संस्कृति के विरुद्ध मन, कर्म और वचन से की…
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सनातन धर्म के सोलह संस्कार

दिनांक 20 जुलाई 2025 सनातन धर्म के सोलह संस्कारसनातन धर्म में मानव जीवन के सोलह संस्कारों का प्रावधान है जो…
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ब्राह्मण – ज्ञानवीर

उद्देश्य – विश्व कल्याण हेतु ज्ञान विज्ञान का सृजन, पोषण और संवर्धन करना l – ब्रह्मा जी का मुख ब्राह्मण…
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क्षत्रिय – शूरवीर

उद्देश्य –  ब्राह्मण, नारी, धर्म, राष्ट्र, गाये के प्राणों की रक्षा – सुरक्षा की सुनिश्चितता  बनाये रखना l   -…
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  • श्रेणी:

    घर

    नारी एक - रूप अनेक -
    माँ, बहन, बहु और बेटी से ही हर घर संवरता है, इन्हें हर परिवार में उचित सम्मान मिलना चाहिए l
    घर स्वर्ग –
    धरती पर वह घर स्वर्ग समान है, जहाँ बच्चों को अच्छे संस्कार मिलते हैं l
    घर तीर्थ –
    जो सन्तान आज्ञाकारी है, अपने माता-पिता की सेवा करती है, उसे किसी तीर्थ यात्रा पर जाने की कोई आवश्यकता नहीं, वह घर स्वयं तीर्थ होता है l
    चिड़ियाँ रैन बसेरा –
    यह घर न तेरा है न मेरा है, चिड़ियों का रैन बसेरा है l




  • श्रेणी:

    परिवार

    नारी आभाव -
    जब कोई दो पहिया वाहन किसी एक पहिये के बिना नहीं चल सकता है तो नारी अभाव में परिवार मात्र नर से कैसे चल सकता है !

    परिवार –
    - जिस परिवार में आपसी प्रेम, सोहार्द व् शान्ति नहीं, उस घर की समस्त सुख-सुविधाएं किस काम की l
    - परिवार एक वह ठोस इकाई है जिससे समाज, राष्ट्र और विश्व की संरचना होती है l
    - पारिवारिक मतभेदों को परिवार में ही समाप्त कर लेना बुद्धिमानी है l
    - पारिवारिक झगड़ों से बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, से बचना चाहिए l
    - परिवार में बड़ों का उचित सम्मान और उनसे शिष्ट व्यवहार करने से जीवन - मार्गदर्शन मिलता है l
    - आपसी झगड़ों व् तनाव से परिवारों को हानि पहुँचती है जबकि दुश्मन को लाभ होता है l
    - पारिवारिक झगड़ों से परिवार का युवा मानसिक रूप से टूट जाता है l


  • श्रेणी:

    मानव

    प्राणी जातियां – 
    विश्वभर में विभिन्न प्राणियों की अनेकों जातियां पाई जाती हैं l उन जातियों में मानव भी एक जाति है जो अन्य प्राणियों से भिन्न है - दो हाथ, दो पैर, मुंह, नाक, कान, आँखें अर्थात वह पांच कर्मेन्द्रियाँ पांच ज्ञानेन्द्रियाँ, मन, बुद्धि, अहंकार का स्वामी है l जैसे गाये को भैंस और भैंस को बकरी नहीं बनाया जा सकता उसी प्रकार मनुष्य को भी किसी अन्य जाति में परिवर्तित नहीं किया जा सकता l
    अच्छे कार्य -
    दूसरों के जीवन में कांटे बिछाकर कोई भी व्यक्ति अपनी, या अपने परिवार की उन्नति नहीं कर सकता, सबके हित में अच्छे कार्य करना अति आवश्यक हैं l
    व्यक्तित्व निर्माण -
    अच्छे संस्कारों से ही एक अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण हो सकता है l




  • श्रेणी:

    गुरु – आचार्य

    - # विद्यार्थी को तराशकर एक योग्य ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र कोई बना सकता है तो वह गुरु ही हो सकता है l* 
    - दूषित राजनीति से छुटकारा दिलाने हेतु चाणक्य जैसे आचार्यों को, चन्द्र गुप्त मौर्य जैसे विद्यार्थियों के साथ, आगे अवश्य आना पड़ता है l
    - जब जब चाणक्य जैसा कोई आचार्य किसी मुरां पुत्र चन्द्र गुप्त जैसे विद्यार्थी को सम्राट चन्द्र गुप्त मौर्य बनाने में समर्थ होता है, तब तब नन्द जैसे मक्कार और क्रूर शासकों का भी पतन निश्चित होता है l इससे लोकतंत्र की स्थापना होती है और अखंड भारत का सपना साकार होता है l




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    प्रभु प्रमाण

    हजार करो तीर्थ, लाख करो स्नान, जिसका हृदय साफ नहीं, कैसे प्रत्यक्ष मिले प्रभु प्रमाण ?