भगवान श्रीकृष्ण लगभग 5000 वर्ष ईश्वी पूर्व इस धरती पर अवतरित हुए थे। उनका जन्म द्वापर युग में हुआ था।…
Read More
-
श्रेणी:घर
घर
नारी एक - रूप अनेक -
माँ, बहन, बहु और बेटी से ही हर घर संवरता है, इन्हें हर परिवार में उचित सम्मान मिलना चाहिए l
घर स्वर्ग –
धरती पर वह घर स्वर्ग समान है, जहाँ बच्चों को अच्छे संस्कार मिलते हैं l
घर तीर्थ –
जो सन्तान आज्ञाकारी है, अपने माता-पिता की सेवा करती है, उसे किसी तीर्थ यात्रा पर जाने की कोई आवश्यकता नहीं, वह घर स्वयं तीर्थ होता है l
चिड़ियाँ रैन बसेरा –
यह घर न तेरा है न मेरा है, चिड़ियों का रैन बसेरा है l
-
श्रेणी:परिवार
परिवार
नारी आभाव -
जब कोई दो पहिया वाहन किसी एक पहिये के बिना नहीं चल सकता है तो नारी अभाव में परिवार मात्र नर से कैसे चल सकता है !
परिवार –
- जिस परिवार में आपसी प्रेम, सोहार्द व् शान्ति नहीं, उस घर की समस्त सुख-सुविधाएं किस काम की l
- परिवार एक वह ठोस इकाई है जिससे समाज, राष्ट्र और विश्व की संरचना होती है l
- पारिवारिक मतभेदों को परिवार में ही समाप्त कर लेना बुद्धिमानी है l
- पारिवारिक झगड़ों से बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, से बचना चाहिए l
- परिवार में बड़ों का उचित सम्मान और उनसे शिष्ट व्यवहार करने से जीवन - मार्गदर्शन मिलता है l
- आपसी झगड़ों व् तनाव से परिवारों को हानि पहुँचती है जबकि दुश्मन को लाभ होता है l
- पारिवारिक झगड़ों से परिवार का युवा मानसिक रूप से टूट जाता है l
-
श्रेणी:4 मानव
मानव
प्राणी जातियां –
विश्वभर में विभिन्न प्राणियों की अनेकों जातियां पाई जाती हैं l उन जातियों में मानव भी एक जाति है जो अन्य प्राणियों से भिन्न है - दो हाथ, दो पैर, मुंह, नाक, कान, आँखें अर्थात वह पांच कर्मेन्द्रियाँ पांच ज्ञानेन्द्रियाँ, मन, बुद्धि, अहंकार का स्वामी है l जैसे गाये को भैंस और भैंस को बकरी नहीं बनाया जा सकता उसी प्रकार मनुष्य को भी किसी अन्य जाति में परिवर्तित नहीं किया जा सकता l
अच्छे कार्य -
दूसरों के जीवन में कांटे बिछाकर कोई भी व्यक्ति अपनी, या अपने परिवार की उन्नति नहीं कर सकता, सबके हित में अच्छे कार्य करना अति आवश्यक हैं l
व्यक्तित्व निर्माण -
अच्छे संस्कारों से ही एक अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण हो सकता है l
-
श्रेणी:गुरु – आचार्य
गुरु – आचार्य
- # विद्यार्थी को तराशकर एक योग्य ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र कोई बना सकता है तो वह गुरु ही हो सकता है l*
- दूषित राजनीति से छुटकारा दिलाने हेतु चाणक्य जैसे आचार्यों को, चन्द्र गुप्त मौर्य जैसे विद्यार्थियों के साथ, आगे अवश्य आना पड़ता है l
- जब जब चाणक्य जैसा कोई आचार्य किसी मुरां पुत्र चन्द्र गुप्त जैसे विद्यार्थी को सम्राट चन्द्र गुप्त मौर्य बनाने में समर्थ होता है, तब तब नन्द जैसे मक्कार और क्रूर शासकों का भी पतन निश्चित होता है l इससे लोकतंत्र की स्थापना होती है और अखंड भारत का सपना साकार होता है l