भगवान श्रीकृष्ण लगभग 5000 वर्ष ईश्वी पूर्व इस धरती पर अवतरित हुए थे। उनका जन्म द्वापर युग में हुआ था।…
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श्रेणी:चेतन विचार
ईश्वर दर्शन
# जैसे रात में विचरण करने वाले उल्लू को दिन में दिखाई नहीं देता है, वैसे ही संसारिक सुख में मस्त रहने वाले को ईश्वर के भी दिव्य दर्शन नहीं होते है।*
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श्रेणी:सशक्त मन – धैर्यशील मन
सद्भावना और दुर्भावना
भावनाएं दो प्रकार की होती हैं – सद्भावना और दुर्भावना l सद्भावना से मनुष्य का अपना और समाज का उत्थान होता है जबकि दुर्भावना से दोनों का पतन होता है l मनुष्य को किस भावना से कार्य करना चाहिए ? ये बात उसकी बुद्धि और प्रकृति पर निर्भर करती है l
सद्भावना और दुर्भावना में मात्र इतना अंतर है, सद्भावना गैर को भी अपना बनाती है जबकि दुर्भावना अपनो ही को गैर बना देती है l
सद्भावना से बिखरा हुआ समाज एक सूत्र में पिरोया जा सकता है l
सद्भावना से आत्मोत्थान और दुर्भावना से आत्म पतन होता है l
मन में शुद्ध भाव रखने से आत्म विशवास बढ़ता है l
प्रेम बल से दूरस्थ व्यक्ति भी समीप लगता है मगर द्वेष से समीप रहने वाला भी दूर होता है l
दान, त्याग, समर्पण और सेवा भाव से कठिन से कठिन कार्य भी सहजता से सिद्ध हो जाते हैं l
निराभिमान से लोकप्रियता बढ़ती है l
सफल लोगों की दिनचर्या उनका मन नहीं, लक्ष्य तय करता है l
जन सेवा हेतु समर्पित भाव से कार्य करना ही भक्तियोग है l
सुख की कामना-
दुःख का सामना किये बिना सुख की कभी कामना नहीं की जा सकती l दुःख सहन करने से ही सुख की प्राप्ति होती है l
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श्रेणी:चेतन विचार
आश्चर्य
वास्तव में अँधा सूरदास नहीं, अँधा वो है जिसे सत्य नहीं दिखता l
सूरदास ईश्वर दर्शन करता है और आँखों वाला पूछता है - ईश्वर कहाँ है !
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श्रेणी:परम्परागत गुरुकुल शिक्षा
परम्परागत गुरुकुल शिक्षा
- # परिवार में बच्चों को संस्कार मिलते हैं। गुरुकुल में उनका पोषण और संवर्धन होता है ।*
- # संस्कार विहीन शिक्षा समाज के लिए अभिशाप है।*
- आत्मानुशासन की शिक्षा परम्परागत गुरुकुल से ही मिल सकती है – माता-पिता के सानिध्य में पहला गुरुकुल घर है और दूसरा गुरु-आचार्य के सानिध्य में उनका गुरुकुल l
- मैकाले एवं ब्रिटिश साम्राज्य से जनित, पोषित 1947 से जारी अंग्रेजी शिक्षा आत्मानुशासन की शिक्षा क्या देगी ! जिसका मात्र धन उगाही करना ही लक्ष्य हो l