मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



2. भक्ति, श्रद्धा, प्रेम का पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

भगवान श्रीकृष्ण लगभग 5000 वर्ष ईश्वी पूर्व इस धरती पर अवतरित हुए थे। उनका जन्म द्वापर युग में हुआ था।…
Read More

सशक्त न्याय व्यवस्था की आवश्यकता

दिनांक 29 जुलाई 2025 सत्य, न्याय, नैतिकता, सदाचार, देश, सत्सनातन धर्म, संस्कृति के विरुद्ध मन, कर्म और वचन से की…
Read More

सनातन धर्म के सोलह संस्कार

दिनांक 20 जुलाई 2025 सनातन धर्म के सोलह संस्कारसनातन धर्म में मानव जीवन के सोलह संस्कारों का प्रावधान है जो…
Read More

ब्राह्मण – ज्ञानवीर

उद्देश्य – विश्व कल्याण हेतु ज्ञान विज्ञान का सृजन, पोषण और संवर्धन करना l – ब्रह्मा जी का मुख ब्राह्मण…
Read More

क्षत्रिय – शूरवीर

उद्देश्य –  ब्राह्मण, नारी, धर्म, राष्ट्र, गाये के प्राणों की रक्षा – सुरक्षा की सुनिश्चितता  बनाये रखना l   -…
Read More
  • श्रेणी:

    आत्म विस्मरण

    सदा चोट खाता हूं मैं
    बातों में, गैरों की आता हूं
    मेरे हित की होती हैं
    बात हितैशी की भूल जाता हूं
    इन्सान था पर मैंने
    खुद से खुद वैर किया है
    शैतान बना लिया मैने खुद को
    प्रभु को मैंने भुला दिया है
    जानता नहीं मैं खुद को
    पूछता हूं, तू है कौन?
    क्या जान लूं? मैं पहले खुद को
    फिर पूछूं, बता तू है कौन?


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    आत्म विश्वास

    विषय वस्तु समझ आ जाएगी
    लोक-भ्रमण करके देख ले
    बात ज्ञान-विज्ञान की समझ आएगी
    सुसंगत करके देख ले
    विषय-वस्तु का ज्ञान-वर्धन हो जाएगा
    साहित्य-ग्रंथ पढ़कर देख ले
    योग्यता में निखार आ जाएगा
    कलात्मक शिक्षण-प्रशिक्षण ले कर देख ले
    सांसारिक ज्ञान मिल जाएगा
    सत्यनिष्ठ रह कर देख ले
    आत्म ज्ञान-विज्ञान बढ़ जाएगा
    विरही आंतरिक जिज्ञासा जगा कर देख ले
    ज्ञान-विज्ञान का विस्तार हो जाएगा
    शैक्षणिक वातावरण बना कर देख ले
    दूसरों तक ज्ञान जाएगा
    कलात्मक अभिनय करके देख ले
    मेरी बात पर न हो विश्वास
    अपने जीवन में उतार कर देख ले
    अगर स्वयं पर हो विश्वास
    तो मेरी बात मान कर देख ले


    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    आत्म-प्रकाश

    मैं क्यों बुद्धि का अंधा हो गया हूं?
    दो-तीन गुणों का तो मालिक बन गया हूं
    जो भी मैं बड़ाई प्राप्त करता हूं
    क्यों उसमें खुद को खुद भूल गया हूं
    धन्य है कि बड़ाई मेरे पास आती है
    पर वह मुझ में विराजित दिव्यांश को जाती है
    बस यह धारणा मेरी गलत हो गई
    राह भी मेरी आगे की आसान हो गई
    अब अन्तरात्मा मेरा प्रकाशित है
    यह तन मात्र पुतला मिट्टी है
    और समझ में भी मेरे आया है
    घमंड करके मैंने बहुमूल्य जीवन गंवाया है


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    आत्म-जागरण

    पराई आशा पर जीने वाले!
    पराए प्रकाश पर चलने वाले!
    पराई मेहनत खाने वाले!
    रास्ता छोड़ भटकने वाले!
    मिलेगी तुझे कब तक आस?
    मिलेगा तुझे कब तक प्रकाश?
    मिलेगा तुझे कब तक खाना?
    पड़ेगा तुझे कब तक पछताना?
    अपने साहस पर तू कर ले आस,
    अपनी राह पर खुद कर ले प्रकाश,
    नित अपनी मेहनत का खाया कर,
    जीवन की सही राह अपनाया कर,
    पराई आस पर जी रहा, कोई कहेगा नहीं,
    दूसरों का सहारा ले रहा, किसी से सुनेगा नहीं,
    देख रहा हाथ पराए, कोई कहेगा नहीं,
    राह भटक गया, किसी से सुनेगा नहीं,
    निराशा ले जीत, तेरे साहस का है काम,
    मेहनत कर, फल देना ईश्वर का है काम,
    शेर छोड़े जूठन, खाना गीदड़ों का है काम,
    स्थित-प्रज्ञ बन जा, तेरी बुद्धि का है काम,


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    आपत्ति आने के पहले

    अनमोल वचन :- 

    # आपत्ति आने के पहले ही उपाय सोचने वाले, समयानुसार बुद्धि से काम लेने वाले ये दोनों ही सुख से रहते हैं, परंतु जो होगा देखा जाएगा-ऐसा सोचने वाला नष्ट हो जाता है।*