भगवान श्रीकृष्ण लगभग 5000 वर्ष ईश्वी पूर्व इस धरती पर अवतरित हुए थे। उनका जन्म द्वापर युग में हुआ था।…
Read More
-
श्रेणी:अनमोल वचन
हे विष्णु पत्नि!
अनमोल वचन :-
"देवी! समुद्र तुम्हारा परिधान है, पर्वत स्तन मण्डल है, जिनका वात्सल्य रस नदियों में प्रवाहित हो रहा है। हे विष्णु पत्नि! मैं तुम्हें प्रणाम करता हूं। मेरे पैरों की स्पर्श होने की घृष्टता क्षमा करना"।
-
श्रेणी:अनमोल वचन
शील के बिना
अनमोल वचन :-
"धन और रूप से सम्पन्न होने पर भी शील के बिना मनुष्य, फल और पुष्प युक्त कांटों से भरे हुए वृक्ष की भांति लगता है"।
-
श्रेणी:अनमोल वचन
उद्यमशील पुरुष –
अनमोल वचन :-
उद्यमशील पुरुष के पास दरिद्रता नहीं आती, जप करते रहने से पाप नहीं लगता, मौन रहने से कलह नहीं होती और जागते रहने पर भय नहीं होता।
-
श्रेणी:कवितायें
इन्सान
इन्सान हूं मैं
भेड़िए की खाल पहने हुए हूं, क्यों?
बातें धर्म की करता हूं, मैं
लहु बे गुनाहों का बहाता हूं, क्यों?
करता हूं धर्म नाम पर हिंसा
धर्म और पशुता में अन्तर रहा क्या
मैं इन्सान कहलाता हूं
बन गया पशु, अर्थ रहा क्या?
हिंसा तो है धर्म पशु का
सबको मरने की राह दिखाई है
हिंसा न कर वास्ता धर्म का
चेतन बात तेरी समझ आई है क्या?
चेतन कौशल "नूरपुरी"
-
श्रेणी:कवितायें
आत्मावलोकन
था इन्सान मगर मैने
खुद से खुद वैर किया है
शैतान तो खुद बन बैठा हूं
प्रभु को मैंने भुला दिया है
देखा न कभी मैंने खुद को
पूछता हूं, तू है कौन?
जान लूं मैं खुद को पहले
फिर पूछूं, बता तू है कौन?
दूसरों का चेहरा दिख जाता
अपना कभी दिखता नहीं
हर दोष दूसरों का दिख जाता
अपना एक भी दिखता नहीं
पहले दूसरों को न देख
"चेतन" तू खुद ही को देख
खुद की कर दूर बुराई
पहले दूसरों की अच्छाई देख
चेतन कौशल "नूरपुरी"