स्थानीय ब्राह्मण सभा पुनर्गठन की आवश्यकता
By चेतन कौशल
/ 22. मार्च 2025
दिनांक 22 मार्च 2025धर्म और अधर्म – समय सूचक यंत्र की भांति समय वृत्त निरंतर घूम रहा है । परिवर्तन…
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मानवता सेवा की गतिविधियाँ
चेतन आत्मोवाच 67 :-खोज जिसे होती है, मंजिल पा ही लेता है lपरिश्रम बिना जो ढूंढता है, मनः जीवन नष्ट कर लेता है llचेतन कौशल “नूरपुरी”
चेतन आत्मोवाच 66 :-मुसीबत में करते जो आह नहीं, बुझने नहीं देते जो योगाग्नि को lसदाचार होता है संग उनके, मनः सतगुरु पार भव सागर ले जाने को llचेतन कौशल “नूरपुरी”
चेतन आत्मोवाच 65 :-कली बनता गुल, गुल खिलता है काँटों में lअभ्यास बनता है मेहनत, मनः होती नहीं मेहनत बातों में llचेतन कौशल “नूरपुरी”
चेतन आत्मोवाच 64 :-महंदी रंग लाती है पत्थर पर घिसने के बाद lअक्कल का गुल खिलता है, मनः ठोकर खाने के बाद llचेतन कौशल “नूरपुरी”
चेतन आत्मोवाच 63 :-कुछ मिलता है, भेंट देने के बाद lतोडना पड़ता है नाता, मनः भुलानी पड़ती है याद llचेतन कौशल “नूरपुरी”