मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



2. भक्ति, श्रद्धा, प्रेम का पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

भगवान श्रीकृष्ण लगभग 5000 वर्ष ईश्वी पूर्व इस धरती पर अवतरित हुए थे। उनका जन्म द्वापर युग में हुआ था।…
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सशक्त न्याय व्यवस्था की आवश्यकता

दिनांक 29 जुलाई 2025 सत्य, न्याय, नैतिकता, सदाचार, देश, सत्सनातन धर्म, संस्कृति के विरुद्ध मन, कर्म और वचन से की…
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सनातन धर्म के सोलह संस्कार

दिनांक 20 जुलाई 2025 सनातन धर्म के सोलह संस्कारसनातन धर्म में मानव जीवन के सोलह संस्कारों का प्रावधान है जो…
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ब्राह्मण – ज्ञानवीर

उद्देश्य – विश्व कल्याण हेतु ज्ञान विज्ञान का सृजन, पोषण और संवर्धन करना l – ब्रह्मा जी का मुख ब्राह्मण…
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क्षत्रिय – शूरवीर

उद्देश्य –  ब्राह्मण, नारी, धर्म, राष्ट्र, गाये के प्राणों की रक्षा – सुरक्षा की सुनिश्चितता  बनाये रखना l   -…
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    2. स्टार्ट अप कंपनियां दे रही रोजगार के अवसर

    आलेख – साक्षात्कार मातृवन्दना जुलाई 2023

    आलस्य, निद्रा, कर्महीनता और नशा मनुष्य जीवन के महान शत्रु हैं l जहाँ एक ओर आज का एक युवावर्ग इन शत्रुओं का शिकार हो रहा है, वहीं दूसरी ओर एक अन्य पुरुषार्थी और कर्मठ युवा वर्ग दिन-रात एक करके अपने कार्य में निरंतर प्रयत्नशील भी है l आज मुझे एक आईटी कंपनी के सीईओ से साक्षात्कार करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ l उनसे  प्राप्त जानकारी के कुछ महत्वपूर्ण अंश इस प्रकार हैं -


    1. प्रश्न - आपके द्वारा आईटी कंपनी की शुरुआत कैसे हुई और आरंभ में आपकी सोच क्या थी ?


    उत्तर – मैं अपने बिजनेस पार्टनर के साथ रात में बैठा था l हमने पहले एक प्रशिक्षण संस्थान खोलने की योजना बनाई थी l उसके लिए हमें कुछ परिसर लेने थे, भुगतान करने के लिए पैसे की आवश्कता थी l जो हमारे पास नहीं थे l हमने उस विचार को छोड़ दिया l फिर हमने और शोध किया और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि हमें घर से ही अपने आप काम शुरू करना चाहिए । इस तरह हमारे पास स्टार्टअप खोलने के लिए पैसे का बैकअप बन जायेगा । इस बार भगवान की कृपा से  हम सफल हुए ।


    2. प्रश्न - आपके मन में आईटी कंपनी से ही संबंधित कार्य करने का विचार क्यों आया जबकि आप के समक्ष अन्य कार्य  करने के भी हजारों विकल्प उपलब्ध थे ?


    उत्तर - दुनिया बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है और अब सब कुछ डिजिटल भी हो रहा है । मैं कंप्यूटर एप्लीकेशन में मास्टर हूं । इसलिए मैंने केवल और केवल अपनी शिक्षा से संबंधित स्टार्टअप खोलने की योजना बनाई ।


    3. प्रश्न – आपने आईटी कंपनी का शुभ आरंभ कब किया ? उसमें सर्व प्रथम कितने कर्मचारी थे, अब कितने हैं ? वैसे हर किसी को अपने कर्मचारियों को खुश रखना बड़ा कठिन होता है, आप सालभर उन्हें प्रसन्न कैसे रखते हैं ?


    उत्तर – मैंने 2013 में कंपनी शुरू की थी जिसमें मैंने अपने बिजनेस पार्टनर के साथ खुद काम करना शुरू किया था । हम शुरुआत में कंपनी के मात्र तीन ही सदस्य थे और अब हम चालीस सदस्य हैं । हम अपने कर्मचारियों को अधिक से अधिक सुविधाएं दे रहे हैं । हमारे पास प्रति सप्ताह पांच कार्य दिवस हैं । हमारे यहाँ हर महीने के अंत में एक पार्टी होती है । हम प्रत्येक कर्मचारी का जन्मदिन एक साथ मनाते हैं । हम उन्हें पुरस्कार आदि देते हैं और खुश रखने के लिए हम हर साल चार-पांच दिनों के लिए  वार्षिक यात्रा भी आयोजित करते हैं ।


    4. प्रश्न – आपकी कंपनी को आरंभ करने का श्रेय किसे जाता है, इसके लिये आपको किसका सहयोग मिला ? उनके  बारे में कुछ क्या कहना चाहेंगे आप ?


    उत्तर – मैं इसका श्रेय अपने बिजनेस पार्टनर, माता-पिता और अपनी पत्नी को दूंगा जिन्होंने मुझे बहुत प्रोत्साहित किया ।


    5. प्रश्न – आपके समक्ष आईटी कंपनी प्रारंभ करने के समय क्या-क्या समस्याएं आईं थीं ?


    उत्तर – हमें विशेष रूप से वित्त से संबंधित बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा था । हमने एक ग्राहक के आधार पर कार्यालय खोला और पहले ही दिन उस ग्राहक ने हमें छोड़ दिया । वह समय हमारे लिए बहुत कठिन था जिसे मैं जीवन भर  कभी नहीं भूलूंगा  l


    6. प्रश्न – क्या आपका आईटी कंपनी का कार्य चुनाव आपकी भावनाओं/आशाओं के अनुरूप रहा है ?


    उत्तर –  हाँ l


    7. प्रश्न -  इस समय आपकी कंपनी को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है ?


    उत्तर - वर्तमान में हम सेवा करने के लिए डेवलपर्स और डिजाइनरों की बहुत कमी का सामना कर रहे हैं क्योंकि अधिकांश युवा अपना स्टार्टअप खोलने की कोशिश कर रहे हैं ।


    8. प्रश्न - चंडीगढ़ में ऐसी कौन-कौन सी कंपनियां हैं जो युवाओं को स्वरोजगार आरंभ करने के लिये प्रेरित कर रही  हैं ?


    उत्तर – ट्राई सिटी में बहुत सारी कंपनियाँ हैं जो युवाओं को अपना स्टार्टअप शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं l


    9. प्रश्न - आपकी आईटी कंपनी क्या कार्य करती है, इस समय उसकी कितनी शाखायें/उपशाखाएं उपलब्ध हैं ?


    उत्तर – हम वेब डिजाइनिंग, डेवलपमेंट और एसईओ करते हैं । वर्तमान में हमारे पास केवल एक शाखा है और दुनिया भर में सेवा कर रही है l
    10. प्रश्न – आप सीईओ की दृष्टि में एक अच्छी आईटी कंपनी कैसी होनी चाहिए ?
    उत्तर – सफल होने के लिए आपको पहले अपने ग्राहकों की ज़रूरतों को समझना होगा, सीमाओं को तोड़ना होगा और उन्हें अपने पास सबसे अच्छा समाधान देना होगा । कंपनी और ग्राहक के बीच एक आपसी समझ अपरिहार्य है क्योंकि इससे आपको अपने प्रोजेक्ट लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी और आप जो कुछ भी करते  हैं, उसमें सर्वश्रेष्ठ प्रदान करेंगे ।


    11. प्रश्न - भविष्य में अपनी आईटी कंपनी का विस्तार करने की आपकी भावी मनसा/योजना क्या है ?


    उत्तर - हम टीम का विस्तार करने की योजना बना रहे हैं और भविष्य में अपनी कंपनी को मल्टी नेशन कंपनी बनाना चाहेंगे ताकि हम बेरोजगार युवाओं को रोजगार दे सकें l


    12. प्रश्न – जैसे कि आपने भी देखा है - आज का नवयुवावर्ग दिन-प्रतिदिन दिशाहीन, लक्ष्यहीन होता जा रहा है l वह दुर्व्यसनों का भी शिकार हो रहा है l आप आईटी कंपनी के एक सीईओ होने के नाते अपने मार्ग से  भटके हुए उन नवयुवाओं को क्या संदेश देना चाहते हैं ?


    उत्तर - मैं नवयुवाओं को जीवन के सकारात्मक पक्ष के बारे में सोचने का सुझाव देना चाहूंगा। आज की दुनिया पूरी तरह से डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ रही है, इसलिए हमें इसका हिस्सा बनना होगा । बेहतर होगा कि वे प्रौद्योगिकियों की ओर आएं और उन्हें अपनाएं जो उन्हें भविष्य में फलदायी परिणाम देंगी l



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    8. मतदान के प्रति मतदाता की जागरूकता

     मातृवंदना नवंबर 2022

    1 जागरूक मतदाता :-
    जो मतदाता भारत का नागरिक हो l जो आचार संहिता लगने तक संपूर्ण 18 वर्ष का हो गया हो l जो उस निर्वाचन क्षेत्र का निवासी हो जहाँ उसका पहली बार नाम अंकित होना हो, मतदान की योग्यता रखता है l लोक तांत्रिक देश भारत में 18 वर्ष से ऊपर के हर किशोर/युवा को संवैधानिक रूप से अपना मतदान करने का अधिकार प्राप्त है l निर्वाचन काल में वह मतदाता बनकर अपने मतदान से अपनी पसंद के प्रत्याशी की हो रही हार को भी अपने एक मत से उसकी जीत में परिवर्तित कर सकता है, ऐसी अपार क्षमता रखने वाले उसके मत को बहुमूल्य कहा जाता है l 1996 में माननीय अटल विहारी वाजपेयी जी की केन्द्रीय सरकार थी जिसे मात्र एक मत कम मिलने के कारण हार का सामना करना पड़ा था l हर लोकतान्त्रिक देश में किसी नेता, दल या दल की विचारधारा को लेकर उसके बारे में मतदाता की जो अपनी राय या मत होता है, उसे उसका मतदान के समय उपयोग अवश्य करना होता है l मतदाता जागरुक होना चाहिए ताकि जनता का, जनता के द्वारा, जनता के लिए मजबूत लोकतंत्र की स्थापना को बल मिल सके l
    2 मताधिकार का प्रयोग :-
    छब्बीस जनवरी 1950 के दिन भारत में भारत के संविधान को स्वीकृति मिली थी l उसे पूर्ण रूप से लागु किया गया था l तब से लेकर अब तक मतदाता के द्वारा मतदान करने का अपना बहुत बड़ा महत्व है l मतदाता मतदान करके अपने पसंद का प्रत्याशी चुनता है l उसके द्वारा चुना हुआ प्रत्याशी अन्य क्षेत्रों से चुने गये प्रत्याशियों के साथ आगे चलकर स्थानीय निकाएं – ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, नगर पालिका, जिला परिषद् का ही नहीं, विधान सभा और लोक सभा का भी गठन में भी साह्भागी बनता है और सरकार बनाता है l
    इस व्यवस्था की प्रक्रिया से सरकार द्वारा जो योजनायें बनाई जाती हैं, उन्हें साकार करने हेतु प्रारंभ किये गये जनहित विकास कार्यों का लाभ व सुविधाएँ जन-जन तक पहुंचाई जाती हैं l इसलिए मतदाता को अपने मताधिकार का प्रयोग अवश्य करना चाहिए - क्योंकि यह केवल अधिकार ही नहीं, उसका कर्तव्य भी है l
    3 गोपनीयता :-
    देश में राजनीति से संबंधित वर्तमान में अनेकों विचार धाराएँ विद्यमान हैं l देखा जाये तो सभी विचार धाराओं के अपने-अपने दल और उनके विभिन्न उद्देश्य हैं l पर उनमें कुछ एक नेता निजहित, परिवार हित, दलहित की दलदल की राजनीति में ही धंसे हुए हैं l उन्हें जनहित, क्षेत्रहित, प्रांतहित, राष्ट्रहित और मानवता की भलाई कुछ भी दिखाई नहीं देती है l या तो उन्हें राजनीति की दलदल से बाहर निकलने का कोई मार्ग/सहारा नहीं मिलता है, या फिर वे उससे बाहर ही निकलना नहीं चाहते हैं l इस दौरान उन्हें जो मार्ग/सहारा मिलता भी है तो वह मार्ग पहले ही दलदल से भरा हुआ होता है या सहारा उस दलदल में धंसा हुआ मिलता है, जो उसे बाहर निकलने/निकालने में असमर्थ होता है l
    निर्वाचन की व्यार चलते समय भारतीय राजनेता/राजनीतिक दल जनता को अपनी ओर आकर्षित करने हेतु मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, मुफ्त धन - मदिरा-मास, मासिक युवा बे-रोजगारी भत्ता, रोजगार देने, गरीबी दूर करने, सुशासन देने जैसे लुभावने तरह-तरह के प्रलोभन दिखाते हैं, उन्हें तो मात्र किसी तरह सत्ता की प्राप्ती करनी होती है, जनहित, देशहित किसने, कब देखा है ? निर्वाचन काल में उनके द्वारा किये जाने वाली घोषनाएँ /वायदे अथवा किये जाने वाले कार्य मात्र जनता को प्रलोभन दिखाकर मुर्ख बनाना होता है l
    मतदान के दो प्रकार :- मतदान का पहला प्रकार सबसे अच्छा चुनाव वह होता है जो निर्विरोध एवं सर्व सम्मति से सम्पन्न होता है l इसमें प्रति स्पर्धा के लिए कोई स्थान नहीं होता है और दूसरा जो मतपेटी में प्रत्याशी के समर्थन में उसके चुनाव चिन्ह पर अपनी ओर से चिन्हित की गई पर्ची डालकर या ईवीएम मशीन से किसी मनचाहे प्रत्याशी के पक्ष में, चुनाव चिन्ह का बटन दबाकर अपना समर्थन प्रकट किया जाता है, मतदान कहलाता है l लेकिन प्रतिस्पर्धा मात्र पक्ष-विपक्ष दो ही प्रत्याशी प्रतिद्वद्वियों में अच्छी होती है जिसमे अधिक अंक लेने वाले की जीत और कम अंक लेने वाले की हार निश्चित होती है l
    समय या असमय देखा गया है कि विधायक चुनी हुई सरकार से अपना समर्थन वापस ले लेते हैं परिणाम स्वरूप सरकार गिर जाती है l अगर विधायक को अपना समर्थन वापस लेने का अधिकार है तो मतदाताओं को भी उस विधायक से अपना मत वापस लेने का अधिकार होना चाहिए ताकि वो कभी बिकने का दुस्साहस न कर सके l मतदाता के द्वारा सदैव बिना किसी भय, बिना किसी दबाव, बिना किसी लोभ, अपनी इच्छा और पसंद के, सर्व कल्याणकारी विचार धारा को मध्यनजर रखते हुए, बिना किसी व्यक्ति को बताये अपना गुप्त मतदान करना चाहिए l मतदाता के पास अपना बहुमूल्य मत होता है जिससे वह समाज विरोधी विचारधारा को हराकर, राष्ट्रवादी विचारधारा को विजय दिला सकता है l आगे भेज सकता है और उससे एक अच्छी सरकार की आशा भी कर सकता है l अन्यथा उस बेचारे मतदाता को पांच वर्ष तक अधर्म, अन्याय, अनीति और असत्य का सामना करना पड़ता है l
    4 शत प्रतिशत मतदान :-
    “मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं लहर नहीं, पहले व्यक्ति देखूंगा l मैं प्रचार नहीं, छवि देखूंगा l मैं धर्म नहीं, विजन देखूंगा l मैं दावे नहीं, समझ देखूंगा l मैं नाम नहीं, नियत देखूंगा l मैं प्रत्याशी की प्रतिभा देखूंगा l मैं पार्टी को नहीं, प्रत्याशी को देखूंगा l मैं किसी प्रलोभन में नहीं आऊंगा l” इस तरह मतदाता का स्वयं जागरूक होना या दूसरों को जागरूक करना परम आवश्यक है और स्वभाविक भी l
    इसी माह 12 नवंबर को प्रदेश में लोक सभा के चुनाव होने हैं l सभी नर-नारी, युवा और वृद्ध शत-प्रतिशत लोक-सभा मतदान करने की प्रतिज्ञा करें l कोई भी 18 वर्ष की आयु से ऊपर वाला युवा जो वैधानिक दृष्टि से मतदान करने का अधिकारी बन चुका है, मतदान से वंचित नहीं रहना चाहिए l

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    8. मतदान के प्रति मतदाता की जागरूकता

    मातृवंदना नवंबर 2022 


    1 जागरूक मतदाता :-
    जो मतदाता भारत का नागरिक हो l जो आचार संहिता लगने तक संपूर्ण 18 वर्ष का हो गया हो l जो उस निर्वाचन क्षेत्र का निवासी हो जहाँ उसका पहली बार नाम अंकित होना हो, मतदान की योग्यता रखता है l लोक तांत्रिक देश भारत में 18 वर्ष से ऊपर के हर किशोर/युवा को संवैधानिक रूप से अपना मतदान करने का अधिकार प्राप्त है l निर्वाचन काल में वह मतदाता बनकर अपने मतदान से अपनी पसंद के प्रत्याशी की हो रही हार को भी अपने एक मत से उसकी जीत में परिवर्तित कर सकता है, ऐसी अपार क्षमता रखने वाले उसके मत को बहुमूल्य कहा जाता है l 1996 में माननीय अटल विहारी वाजपेयी जी की केन्द्रीय सरकार थी जिसे मात्र एक मत कम मिलने के कारण हार का सामना करना पड़ा था l हर लोकतान्त्रिक देश में किसी नेता, दल या दल की विचारधारा को लेकर उसके बारे में मतदाता की जो अपनी राय या मत होता है, उसे उसका मतदान के समय उपयोग अवश्य करना होता है l मतदाता जागरुक होना चाहिए ताकि जनता का, जनता के द्वारा, जनता के लिए मजबूत लोकतंत्र की स्थापना को बल मिल सके l
    2 मताधिकार का प्रयोग :-
    छब्बीस जनवरी 1950 के दिन भारत में भारत के संविधान को स्वीकृति मिली थी l उसे पूर्ण रूप से लागु किया गया था l तब से लेकर अब तक मतदाता के द्वारा मतदान करने का अपना बहुत बड़ा महत्व है l मतदाता मतदान करके अपने पसंद का प्रत्याशी चुनता है l उसके द्वारा चुना हुआ प्रत्याशी अन्य क्षेत्रों से चुने गये प्रत्याशियों के साथ आगे चलकर स्थानीय निकाएं – ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, नगर पालिका, जिला परिषद् का ही नहीं, विधान सभा और लोक सभा का भी गठन में भी साह्भागी बनता है और सरकार बनाता है l
    इस व्यवस्था की प्रक्रिया से सरकार द्वारा जो योजनायें बनाई जाती हैं, उन्हें साकार करने हेतु प्रारंभ किये गये जनहित विकास कार्यों का लाभ व सुविधाएँ जन-जन तक पहुंचाई जाती हैं l इसलिए मतदाता को अपने मताधिकार का प्रयोग अवश्य करना चाहिए - क्योंकि यह केवल अधिकार ही नहीं, उसका कर्तव्य भी है l
    3 गोपनीयता :-
    देश में राजनीति से संबंधित वर्तमान में अनेकों विचार धाराएँ विद्यमान हैं l देखा जाये तो सभी विचार धाराओं के अपने-अपने दल और उनके विभिन्न उद्देश्य हैं l पर उनमें कुछ एक नेता निजहित, परिवार हित, दलहित की दलदल की राजनीति में ही धंसे हुए हैं l उन्हें जनहित, क्षेत्रहित, प्रांतहित, राष्ट्रहित और मानवता की भलाई कुछ भी दिखाई नहीं देती है l या तो उन्हें राजनीति की दलदल से बाहर निकलने का कोई मार्ग/सहारा नहीं मिलता है, या फिर वे उससे बाहर ही निकलना नहीं चाहते हैं l इस दौरान उन्हें जो मार्ग/सहारा मिलता भी है तो वह मार्ग पहले ही दलदल से भरा हुआ होता है या सहारा उस दलदल में धंसा हुआ मिलता है, जो उसे बाहर निकलने/निकालने में असमर्थ होता है l
    निर्वाचन की व्यार चलते समय भारतीय राजनेता/राजनीतिक दल जनता को अपनी ओर आकर्षित करने हेतु मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, मुफ्त धन - मदिरा-मास, मासिक युवा बे-रोजगारी भत्ता, रोजगार देने, गरीबी दूर करने, सुशासन देने जैसे लुभावने तरह-तरह के प्रलोभन दिखाते हैं, उन्हें तो मात्र किसी तरह सत्ता की प्राप्ती करनी होती है, जनहित, देशहित किसने, कब देखा है ? निर्वाचन काल में उनके द्वारा किये जाने वाली घोषनाएँ /वायदे अथवा किये जाने वाले कार्य मात्र जनता को प्रलोभन दिखाकर मुर्ख बनाना होता है l
    मतदान के दो प्रकार :- मतदान का पहला प्रकार सबसे अच्छा चुनाव वह होता है जो निर्विरोध एवं सर्व सम्मति से सम्पन्न होता है l इसमें प्रति स्पर्धा के लिए कोई स्थान नहीं होता है और दूसरा जो मतपेटी में प्रत्याशी के समर्थन में उसके चुनाव चिन्ह पर अपनी ओर से चिन्हित की गई पर्ची डालकर या ईवीएम मशीन से किसी मनचाहे प्रत्याशी के पक्ष में, चुनाव चिन्ह का बटन दबाकर अपना समर्थन प्रकट किया जाता है, मतदान कहलाता है l लेकिन प्रतिस्पर्धा मात्र पक्ष-विपक्ष दो ही प्रत्याशी प्रतिद्वद्वियों में अच्छी होती है जिसमे अधिक अंक लेने वाले की जीत और कम अंक लेने वाले की हार निश्चित होती है l
    समय या असमय देखा गया है कि विधायक चुनी हुई सरकार से अपना समर्थन वापस ले लेते हैं परिणाम स्वरूप सरकार गिर जाती है l अगर विधायक को अपना समर्थन वापस लेने का अधिकार है तो मतदाताओं को भी उस विधायक से अपना मत वापस लेने का अधिकार होना चाहिए ताकि वो कभी बिकने का दुस्साहस न कर सके l मतदाता के द्वारा सदैव बिना किसी भय, बिना किसी दबाव, बिना किसी लोभ, अपनी इच्छा और पसंद के, सर्व कल्याणकारी विचार धारा को मध्यनजर रखते हुए, बिना किसी व्यक्ति को बताये अपना गुप्त मतदान करना चाहिए l मतदाता के पास अपना बहुमूल्य मत होता है जिससे वह समाज विरोधी विचारधारा को हराकर, राष्ट्रवादी विचारधारा को विजय दिला सकता है l आगे भेज सकता है और उससे एक अच्छी सरकार की आशा भी कर सकता है l अन्यथा उस बेचारे मतदाता को पांच वर्ष तक अधर्म, अन्याय, अनीति और असत्य का सामना करना पड़ता है l
    4 शत प्रतिशत मतदान :-
    “मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं लहर नहीं, पहले व्यक्ति देखूंगा l मैं प्रचार नहीं, छवि देखूंगा l मैं धर्म नहीं, विजन देखूंगा l मैं दावे नहीं, समझ देखूंगा l मैं नाम नहीं, नियत देखूंगा l मैं प्रत्याशी की प्रतिभा देखूंगा l मैं पार्टी को नहीं, प्रत्याशी को देखूंगा l मैं किसी प्रलोभन में नहीं आऊंगा l” इस तरह मतदाता का स्वयं जागरूक होना या दूसरों को जागरूक करना परम आवश्यक है और स्वभाविक भी l
    इसी माह 12 नवंबर को प्रदेश में लोक सभा के चुनाव होने हैं l सभी नर-नारी, युवा और वृद्ध शत-प्रतिशत लोक-सभा मतदान करने की प्रतिज्ञा करें l कोई भी 18 वर्ष की आयु से ऊपर वाला युवा जो वैधानिक दृष्टि से मतदान करने का अधिकारी बन चुका है, मतदान से वंचित नहीं रहना चाहिए l


  • श्रेणी:

    नियामक जीवन


    साधारण जीवन दुर्बल है, नियामक सर्व शक्तिमान l

    जटिल समस्या समाधान करे, मनः तू भेद अमोल पहचान  ll



  • श्रेणी:

    कुछ तो अवश्य


    कुछ तो अवश्य मिलेगा, तू पहले कर्म कर l

    फल तुझे जरुर मिलेगा, मनः पहले पूरा फर्ज कर ll