12. दिसम्बर 2024 / 0 Comments मानसिक विकार चेतन आत्मोवाच 77 :-काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, अहंकार हैं सब नर्क के द्वार lइधर कहते हैं संत प्यारे, मनः उधर बताते हैं गुरुद्वार llचेतन कौशल "नूरपुरी"
12. दिसम्बर 2024 / 0 Comments शोभा एवं इतिहास चेतन आत्मोवाच 76 :-बनी है शोभा त्रिभुवन की,सतियों और देवियों से 1बना है इतिहास दुनियां का, मनः महान विभूतियों से 11चेतन कौशल "नूरपुरी"
12. दिसम्बर 2024 / 0 Comments संतान चेतन आत्मोवाच 75 :-वह सन्तान अच्छी है, जो पावों पर अपने खड़ी है lकर्तव्य अपना समझती है, मनः समाज की सच्ची कड़ी है llचेतन कौशल "नूरपुरी"
12. दिसम्बर 2024 / 0 Comments सहारा चेतन आत्मोवाच 74 :-सहारा होता है जो बेसहारों का, वह दर्द हर लेता है lजहर नदी, नाले, झरनों का, मनः शांत समुद्र पी लेता है llचेतन कौशल "नूरपुरी"
12. दिसम्बर 2024 / 0 Comments प्रेम चेतन आत्मोवाच 73 :-बिना दर्द के जो होता है, वह होता है प्रेम नहीं lदर्द नहीं होता जिसमें, मनः होता है वह प्रेम नहीं llचेतन कौशल "नूरपुरी"