मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



2. भक्ति, श्रद्धा, प्रेम का पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

भगवान श्रीकृष्ण लगभग 5000 वर्ष ईश्वी पूर्व इस धरती पर अवतरित हुए थे। उनका जन्म द्वापर युग में हुआ था।…
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सशक्त न्याय व्यवस्था की आवश्यकता

दिनांक 29 जुलाई 2025 सत्य, न्याय, नैतिकता, सदाचार, देश, सत्सनातन धर्म, संस्कृति के विरुद्ध मन, कर्म और वचन से की…
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सनातन धर्म के सोलह संस्कार

दिनांक 20 जुलाई 2025 सनातन धर्म के सोलह संस्कारसनातन धर्म में मानव जीवन के सोलह संस्कारों का प्रावधान है जो…
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ब्राह्मण – ज्ञानवीर

उद्देश्य – विश्व कल्याण हेतु ज्ञान विज्ञान का सृजन, पोषण और संवर्धन करना l – ब्रह्मा जी का मुख ब्राह्मण…
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क्षत्रिय – शूरवीर

उद्देश्य –  ब्राह्मण, नारी, धर्म, राष्ट्र, गाये के प्राणों की रक्षा – सुरक्षा की सुनिश्चितता  बनाये रखना l   -…
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    8. समर्थ की पहचान

    दैनिक जागरण 14 मई 2006 

    निर्बल असमर्थ ही छुपता बनता कायर है
    बलवान समर्थ करता शूरता का कार्य है
    रखता है ध्यान सदा अपने हर कर्म का
    छोड़ता है संग अपने हर दुष्कर्म का
    करता सद्गुणों से जीवन का श्रृंगार है
    देखता जन का जन से होता प्यार है
    मनवा जब तू करेगा पाप नहीं
    तब बन पाएगा समर्थ कैसे आप नहीं



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    7. बुरा नहीं है

    दैनिक जागरण 29 मार्च 2006 

    अपनी बात काटने वाले से
    कारण पूछ लेना अच्छा
    अपनी कमीं जानी जा सके
    तो कोई बुरा नहीं है
    बात स्पष्ट करने वाले को
    अभय दान देना अच्छा
    कोई सच्चाई सामने आ जाए
    तो कोई बुरा नहीं है
    अपनी बात कहने वाले की
    जरूरत जान लेना अच्छा
    कोई अमूल्य जीवन संवर जाए
    तो कोई बुरा नहीं है
    सभा में भाग लेने को
    समय निकाल लेना अच्छा
    ज्ञान की बात मिल जाए
    तो कोई बुरा नहीं है



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    6. समय

    दैनिक जागरण  28 मार्च 2006 

    क्या मैं समय का सदुपयोग कर रहा हूं?
    क्या मैं अपना भविष्य प्रकाशमय बना रहा हूं?
    विद्यार्थी हूं,
    मैं विद्या ग्रहण करता हूं क्या?
    समय है अनमोल,
    मैं विद्या-आचरण करता हूं क्या?
    विद्यार्थी जीवन में सीखना और जानना,
    क्या है निश्चय अपना?
    क्या पूरा होगा?
    जीवन का जो है निश्चित सपना,
    क्या मैं समय का मोल जानता हूं?
    क्या मैं समय का प्रभाव मानता हूं?



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    5. विद्यालय

    दैनिक जागरण 20 मार्च 2006 

    विद्यालय में ज्ञान बीज का रोपण होता है
    वहां विद्यार्थी होता है किसी अंकुर से कम नहीं
    गुरु से विद्यार्थी पौध का पोषण होता है
    वहां गुरु होता है किसी किसान से कम नहीं
    विद्यालय में राजनीति की पैदा होती है नर्सरी
    खेती करने का वह कोई स्थान नहीं है
    राष्ट्र ने विद्यालय से पौध प्राप्त है करनी
    पेड़ लगाने का वह कोई स्थान नहीं है



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    4. स्वदेशी

    दैनिक जागरण 25 फरवरी 2006

    देश है प्यारा अपना स्वदेशी
    रहना है नित प्यारे स्वदेश
    जीना मरना लगे प्यारा स्वदेशी
    प्यार हुआ है संग प्यारे स्वदेष
    पा लेना है ज्ञान विदेशी
    भूल नहीं जाना है स्वदेश
    स्वदेश से नहीं प्यारे प्राण स्वदेशी
    स्वर्ग से भी प्यारा है स्वदेश
    उत्पादन बढ़ाना है देशी स्वदेशी
    पहुंचाना है उसे देश विदेश
    मुद्रा अर्जित करना देशी विदेशी
    चिड़िया सोने की फिर बनाना है स्वदेश
    कभी नीयत खराब न करना स्वदेशी
    चाहे बाधाएं आएं अनेक देश विदेश
    मुहं तोड़ एक उत्तर देना स्वदेशी
    गूंज पड़े जिसकी देश विदेश
    असीमित धन सम्पदा हो देशी विदेशी
    जरूरतमंद तक पहुंचाना है देश विदेश
    चाहे लाख षड्यंत्र करे कोई देशी विदेशी
    प्रभावित नहीं होने देनी है संस्कृति स्वदेश
    सभ्यता संस्कृति विचित्र है स्वदेशी
    मची धूम मची रहे देश विदेश
    उठ जाग जागते रहना है स्वदेशी
    ना जाग उठे जब तलक देश विदेश