भगवान श्रीकृष्ण लगभग 5000 वर्ष ईश्वी पूर्व इस धरती पर अवतरित हुए थे। उनका जन्म द्वापर युग में हुआ था।…
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1. देश वासियो
दैनिक जागरण 12 जनवरी 2007
उठो नगर वासियो
जागो देश वासियो
दुखियारी भारत मां पुकार रही
आजादी दुख से कराह रही
दासता से मुक्त हुई है भारत माता
कुरीतियों में है उसे फंसाया जाता
उठो नगर वासियो
जागो देश वासियो
होना था न केवल हमनें आजाद
प्रेम त्यागभाव भी हमनें करना था आवाद
पगपग पर नंगा न कोई होता
भूखा पदपथ पर न कहीं कोई सोता
उठो नगर वासियो
जागो देश वासियो
संभव हर वस्तु यहां उत्पन्न होती
हर जरूरतमंद की उस तक पहुंच होती
कोई न कहीं देखता स्वार्थपरता को
हटा दो यहां की अब हर विवषता को
उठो नगर वासियो
जागो देश वासियो
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21. प्रेम पुजारी
दैनिक जागरण 12 दिसम्बर 2006
प्रेम पुजारी बढ़ता चल
सबका कष्ट हरता चल
कभी खो देना न ध्येय
किसी से खाना न भय
पानी है मंजिल आज नहीं तो कल
प्रेम पुजारी बढ़ता चल
सहारा मिले तो ले लेना तू
न मिले कदम बढ़ाना तू
निर्भय प्रतिपल आगे बढ़ता चल
प्रेम पुजारी बढ़ता चल
मंजिल सामने एक दिन आएगी
घड़ी इंतजार की खत्म हो जाएगी
सफलता मिलेगी आज नहीं तो कल
प्रेम पुजारी बढ़ता चल
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20. अभाव में
दैनिक जागरण 3 दिसम्बर 2006
गुण बिना, रूप सुन्दर करना है क्या?
विनम्रता बिना, ज्ञान गूढ़ करना है क्या?
सदुपयोग बिना, धन अपार करना है क्या?
साहस बिना, शस्त्र-अस्त्र अजेय करना है क्या?
भूख बिना, भोजन बलवर्धक करना है क्या?
होश बिना, साहस अदम्य करना है क्या?
परोपकार बिना, बलवान तन करना है क्या?
सेवा-त्याग बिना, बसेरा अपनों संग करना है क्या?
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19. जिन्दगी की राह
दैनिक जागरण 25 नवंबर 2006
अपने ही छूट जाते हैं बहुत दूर
छोटी सी जिन्दगी की लम्बी राह पर
सदा नहीं रहता साथ यहां स्वदेह का भी
बस पानी बुलबुला है सत्य की राह पर
साथ नहीं देता हर कोई हर कहीं
हर पल और हर डगर पर
राह में लगती हैं ठोकरें कदम कदम पर
चलना पड़ता है अकेला ही संभल कर
उठता नहीं गिर कर चलता नहीं जो संभल कर
कठिन राह अपनी आगे की समझ कर
गिर जाता है वह फिर अन्य कोई ठोकर खाकर
और कोसने लगता है भाग्य अपना खुद दुख पाकर
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18. संघर्ष की जिंदगी
दैनिक जागरण 18 नवंबर 2006
है यही तो जिंदगी संघर्ष की है जिंदगी
डगमगाना नहीं है प्रण से
विचलित नहीं होना है पथ से
आज का काम करना है आज
कल पर नहीं छोड़ना है आज
है यही तो जिंदगी संघर्ष की है जिंदगी
जिंदगी अपनी है ही क्या
भयभीत रहे मंजिल मिलेगी क्या
सामना करना है जीवन संघर्ष से
जीवन संवारना है जीवन संघर्ष से
है यही तो जिंदगी संघर्ष की है जिंदगी
आशीर्वाद बड़ों का लेकर साथ
हाथ छोेटों का भी थामकर हाथ
हर कदम बढ़ाना है मंजिल की ओर
पूर्व में देखो हो रही भोर
है यही तो जिंदगी संघर्ष की है जिंदगी